चिराग को पार्टी से बेदखल करने की किसने लिखी पटकथा

संजय वर्मा
संजय वर्मा

लोजपा सांसदों पशुपति पारस वीना देवी चंदन सिंह चौधरी महबूब अली कैंसर और प्रिंस राज ने चिराग पासवान को छोड़ पशुपति पारस को पार्टी संसदीय दल का नेता चुन लिये।

इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष से वैधानिक मान्यता प्राप्त करने के लिये समय मांगा। और महज 2 घण्टे के अंदर अध्यक्ष ओम बिड़ला ने मिलने का समय दे दिया। इस मुलाकात के दौरान बिहार के भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव का उपस्थित रहना बहुत मुलाकात के तुरन्त बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा पारस को संसदीय दल का नेता का दर्जा देने में तनिक भी देरी न की।

यह प्रमाणित करने के लिए की भाजपा ने पर्दे के पीछे रहकर सारा खेल किया निर्देश पीएम मोदी का हो या गृह मंत्री अमित शाह या भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा का पर चाचा पारस भतीजा चिराग के बीच पार्टी में वर्चस्व संसदीय दल में टूट के लिये सीएम नीतीश कुमार को विलेन माना या बताया जा रहा है यह ठीक है कि चुनाव में मिली करारी हार के बाद इसके लिये जिम्मेवार चिराग को सबक सिखाने या बर्बाद करने की बात उन्होंने सोंची थी ।सांसदों को तोड़ने ऑपरेशन लोजपा के लिये ललन सिंह महेश्वर हजारी अन्य को कमांडर नियुक्त किया था सम्भव है इन्होंने लोजपा में तोड़फोड़ के लिये सांसदों से सम्पर्क किया हो पर तीन दिनों के अंदर का जो घटनाक्रम जिस तेजी से घटा और अब लोजपा पार्टी के कब्जे के लिये पटना से दिल्ली तक जो संग्राम मचा है।

उस पर भाजपा की रहस्यमयी चुप्पी काफी सारे सवाल खड़े करता है न कोई शीर्ष का न कोई बीच या नीचे स्तर का नेता इस पर अपनी जुबान किसी भी प्रकार से खोल रहा अब आइये इस पूरे घटनाक्रम की टाइमिंग यह सब ऐसे समय मे हो रहा जब मोदी ने केन्द्री मंत्रिमंडल के विस्तार का संकेत दिया यदि लोजपा से किसी को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता तो स्वाभाविक है। पर अड़चन यह थी कि वो अपने हनुमान को मंत्रिमंडल में शामिल करते तो जदयू बिदक जाती या कड़ा एतराज जताता। यहां तक कि राज्य सरकार के अस्तित्व पर बन आता सो सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे इसके लिये कथा पटकथा संवाद तैयार की गई और फिर पूरी फिल्म बन गई।

कबाब में हड्डी चिराग पासवान को तय तरीके से ठिकाना लगा दिया गया यह सब महज मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिये किया गया सार्वजनिक रूप से या आम अवाम के बीच मेसेज यही गया कि नीतीश कुमार ने चिराग से बदला ले लिया तहस नहस कर दिया कहीं का नही छोड़ा अब यह बताइये की मंत्रिमंडल में शामिल करने का काम प्रधानमंत्री करते है तो मंत्री बनने की चाह में पशुपति पारस ने यदि यह सब कुछ किया तो क्या मंत्री बनवाने की कूबत नीतीश कुमार के पास है।

क्या जो पारस को यह कहा होगा कि आप ऐसा कीजिये तो आपको अमुक विभाग का मंत्री बनाया जाएगा जबकि जदयू खुद ही मंत्रिमंडल का हिस्सा नही है पीएम के 1 सीट के ऑफर ठुकरा चुकी फिर मंत्रिमंडल विस्तार होगा तो उसे लिया जाएगा या नही यह सुनिश्चित नही है तो पारस को किस भरोसे पर मंत्री बनाने की बात कह सकती लोजपा में जो कुछ हुआ मंत्री पद की लालसा या लोभ में हुआ तो अब सवाल है कि मंत्री बनाने का आश्वासन सत्ताधारी दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बड़ा कद्दावर नेता या खुद प्रधानमंत्री ही दे सकता है।

अब तो यह स्पष्ट हो जाना चाहिये कि जदयू ने उछल कूद खूब की होगी पर पर्दे के पीछे रहकर भाजपा ने खेला कर अपने हनुमान के बंगले में आग लगाने में असली विलेन का किरदार निभाया

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427