जातिवार जनगणना के आंकड़े जारी करने की विभिन्न दलों की मांग के बीच सरकार ने राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से इनमें लगभग डेढ़ करोड़ गलतियों को सुधारने के लिए कहा है। सरकार ने गत 16 जुलाई को सामाजिक -आर्थिक और जाति जनगणना के आंकडों की समीक्षा की थी। समीक्षा में पता चला कि कुल 46 लाख 73 हजार 34 जातिनाम जनगणना आयुक्त को लौटाये गये हैं। इनमें जाति, उप जाति के नामों, एक जैसे नामों , गौत्र , कबीलों, उच्चारण में अंतर आदि की गलतियां थी।
सबसे ज्यादा गलतियां भाजपा शासित राज्य में
समीक्षा में यह भी पता चला कि जाति संबंधी ब्योरे में 8 करोड़ 19 लाख 58 हजार 314 गलतियां है । राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने इनमें से 6 करोड़ 73 लाख 81 हजार 119 आंकड़ों में सुधार कर दिया है, लेकिन 1 करोड 45 लाख 77 हजार 195 गलतियां अभी ठीक की जानी बाकी हैं। इनमें से महाराष्ट्र में 69.1 लाख, मध्य प्रदेश में 13.9 पश्चिम बंगाल में 11.6 , राजस्थान में 7.2 , उत्तर प्रदेश में 5.4 कर्नाटक में 2.9 , बिहार में 1.7 और तमिलनाडु में 1.4 लाख नामो में गलतियां हैं।
सरकार ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से नामों के आंकडों में सुधार के काम को जल्द पूरा करने के लिए कहा है जिससे कि जाति जनगणना के आंकडों के काम को पूरा किया जा सके। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया की अध्यक्षता वाली समिति इन आंकड़ों की समीक्षा करेगी। इस समिति का गठन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। समिति के अन्य सदस्यों का चयन सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय, आदिवासी मामलों के मंत्रालय के साथ विचार विमर्श के आधार पर करेगा ।