यह भाजपा के पढ़ते देशव्यापी प्रभाव का नतीजा है कि दस साल पहले छिन्न-भिन्न हो चुके जनता दल परिवा ने आज फिर से एक होने के लिए बैठक की.
यह बैठक समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव के दिल्ली आवास पर हुई. इसमें समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यू, जेडी एस, आईएनएलडी के नेताओं ने बैठक की.
बैठक के बाद नीतीश कुमार ने बताया कि अभी एकजुट होने का फैसला हुआ और सब कुछ ठीक रहा तो एकीकरण का फैसला भी हो सकते हैं। यानी सभी पार्टियों का विलय होकर जनता परिवार पुराने रूप में लौट सकता है. ये पार्टिया केंद्र की भाजपा के खिलाफ माहामोर्चा बनाने पर समहमत हो गयी हैं.
मुलायम सिंह के घर पर पहुंचने वाले अहम नेताओं में राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, जनता दल सेक्युलर के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और जेडी (यू) के नेता नीतीश कुमार और शरद यादव, आईएनएलडी के सांसद दुष्यंत चौटाला के नाम शामिल हैं. गौरतलब है कि ये सभी पार्टियां जनता पार्टी से टूटकर बनी हैं.
भाजपा के बढ़ते प्रभाव का पहला सबसे बड़ा खतरा बिहार में नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार को है. बिहार में 2015 में तो उत्तर प्रदेश में 2017 में चुनाव होने वाले हैं.
तीन मुद्दों से मोदी को घेरने की तायरी
बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि तीन मुद्दे हैं जिन पर मोदी सरकार को घेरा जाएगा। उन्होंने कहा कि काला धन, बेरोजगारी और किसानों का मुद्दा है जिन पर संसद के दोनों सदनों में एकजुट होकर सशक्त विपक्ष के रूप में लड़ने पर सहमति बनी है।
नीतीश ने कहा कि चुनाव के दौरान काले धन पर बड़ी-बड़ी बातें कही गई थीं, अब मुंह मोड़ा जा रहा है. इस मुद्दें पर हम इस बात पर सहमत हैं कि ब्लैक मनी पर सरकार ने जो वादे किये उसे पूरा करे. उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि युवाओं को रोज़गार के हसीन सपने दिखाए गए थे और अब ऐसी रिपोर्ट है कि नियुक्ति पर एक साल की रोक लगाई जा रही है. चुनाव से पहले भाजपा लाखों की संख्या में रोजगार सृजन का वादा कर चुकी है लेकिन जैसे ही सत्ता में आयी अपना ये वादा भी भूल गयी.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि किसानों को भी छला जा रहा है. हम किसानों के मुद्दे को भी गंभीरता से उठाने वाले हैं.
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