वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वस्तु एवं सेवा कर को अप्रत्यक्ष कर के इतिहास में ऐतिहासिक करार देते हुए लोकसभा में कहा कि इसके लागू होने से पूरा देश एक बाजार बन जायेगा, कारोबार करना सुगम होगा और अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी।
श्री जेटली ने राज्यसभा द्वारा संशोधनों के साथ पारित जीएसटी से संबंधित 122वें संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक के पारित होने से देश में अप्रत्यक्ष कर सुधार की एक ऐतिहासिक प्रक्रिया पूरी होगी, जिससे पूरा देश एक बाजार बन जायेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक का मुख्य उद्देश्य एक देश भर में एक समान कर प्रणाली विकसित करना और उपभोक्ताओं को करों के ऊपर कर से निजात दिलाना है। उन्होंने कहा कि जीएसटी से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सभा ने इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेज दिया था, जिसने कुछ संशोधनों की सिफारिशें की थी। इन सिफारिशों पर लगभग सभी राजनीतिक दलों की आम सहमति के बाद राज्यसभा ने इसे पारित किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि लोकसभा भी इसे सर्वसम्मति से पारित करेगी। श्री जेटली ने कहा कि इस सुधार पर पिछले कई वर्षों से प्रयास किया जा रहा था। पिछले दशक में इसको लेकर केलकर समिति गठित की गयी थी तथा वर्ष 2006 में इस पर आम लोगों के सुझाव मांगे गये थे जिसमें इसे वर्ष 2010 में लागू करने की उम्मीद जतायी गयी थी।
उन्होंने कहा कि नवंबर 2009 में इस पर परिचर्चा पत्र जारी किया गया और वर्ष 2011 में बजट पेश किये जाने के बाद जीएसटी से जुडा संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया। इसके बाद राज्यों के वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनायी गयी और उस समिति ने समय-समय पर महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं। इसके साथ ही इस विधेयक को वित्त मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति को भेजा गया और समिति ने अगस्त 2013 में अपनी रिपोर्ट दी थी, लेकिन वर्ष 2014 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के सत्ता से बाहर होने पर यह विधेयक समाप्त हो गया था।