चम्पारण के विभिन्न क्षेत्रों की पांच चीनी मिलों से निकला प्रदूषण लाखों लोगों के जीवन की मिठास में जहर घोल रही हैं, मछलियां तड़प कर मर रही हैं वहीं 600 मजदूर भुखमरी के शिकार हैं.
मोतिहारी से ग़ज़ाला इंतेज़ार की रिपोर्ट
इन चीनी मिलों से निकलने वाला दुषित पानी व इथिनौल से हजारों हेक्टेयर भूमि में लगी फसलें प्रतिवर्ष बर्बाद हो रही हैं वहीं खेत भी बंजर हो रहे हैं। तालाबों की मछलियां भी मर रही है और लोग अनेक गंभीर बीमारियों से जुझने लगे हैं। ब्वॉयलर से निकलने वाला धुंआ भी कम खतरनाक नही है और करीब तीन किलोमीटर तक इस का राख लोगों के घरों में गिरता है। यहां किसानों व मजदुरों के साथ-साथ आम जनता को बे मौत मारने का प्रयास किया जा रहा है।
पूर्वी चम्पारण जिले के तीन व पश्चिमी चम्पारण में छह चीनी मिलें स्थापित हैं जिसमें सुगौली की चीनी मिल एचसीपीसील कम्पनी व नरकटियागंज की चीनी मिल न्यू स्वदेशी सुगर सुगर मिल की है।
काफी दिनों से बंद पड़ी सुगौली चीनी मिल पिछले साल एचपीसीएल कम्पनी ने जब अपने हाथों में लेकर चालू करया तो वहां के स्थानीय लोगों,किसानों व मिल में वर्षों से काम कर रहे मजदूरों को बड़ी उम्मीद जगी थी और उन्हें लगा था कि अब उनकी जिन्दगी की गाड़ी ठीक से गुजर सकेगी।किन्तु ठीक इसके उल्टा हो गया।चीनी मिल चालू तो हुई किन्तु नुकसान के सिवा कुछ न मिला।
प्रदूषण से फसल तबाह मर रही मछलियां
हद तो तब होगयी जब मिल से निकलने वाला दुषित पानी,इथिनौल व ब्वॉयलर से निकलने वाला धुआ मानव जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करने लगा। दुषित पानी व इथिनौल से एक तरफ कनिहार,अण्डा टोला,क्रुम टोला,बेला टोला आदि गावों के किसान बृजबिहारी,नारद पुरी,कमलेशपुरी,जगन्नाथ पुरी,शंभु ठाकुर,योगेन्द्र महतो,देवरनाथ पुरी,लालन पाण्डेय,किशुन मिश्रा,बालदेव मिश्रा,योगेन्द्र पटेल,अजय साह,समेत सैकडों किसानों की फसलें बर्बाद हो गयी और पोखरों में पाली गयी मछलियां मरने लगी।
इसका धुंआ भी आस पास की गांवों में पहुचने लगा और लोगों की आंगन में राख गिरने लगा। समाज सेवी व सर्व मानव कल्याण फाउण्डेशन के सचिव सैयद शमीम अख्तर उर्फ शहवर्दी,अध्यक्ष इसरारुल शेख,अवधबिहारी सिंह,व नईम अंसारी आदि मिल प्रबंधक पर किसानों के साथ धोखाधड़ी करने व सिजनल मजदुरों के भविषय के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते है और कहते है कि इस मिल के चालू होने से केवल नुक्सान के सिवा कुछ नही मिला है।
वे बताते हैं कि पटना उच्च न्यायालय में इस बाबत एक याचिका दर्ज करायी गयी है।इसी तरह की हालत नरकटियागज में स्थापित न्यू स्वदेशी सुगर मिल की भी है।मिल प्रबंधन की मनमानी व शोषण का शिकार कर्मी लागातार हो रहे हैं। मिल के सिजनल कर्मचारी व गन्ना लिपिक विनोद कुमार पर जिस तरह से झूठा आरोप लगाकर बाहर कर दिया गया वह किसी से छुपा हुआ नही है।इससे पूर्व भी किसानों व मजदुरों के साथ की जा रही मिल प्रबंधन की मनमानी की शिकायतें अख्बारों की सुर्खियां बनती रही हैं।
600 मजदूर भुखमरी के शिकार
दूसरी तरफ मोतिहारी में स्थित श्री हनुमान सुगर मिल का हाल भी काफी निराला है।किसानों के साथ-साथ मिल मजदुरों के भविषय के साथ खिलवाड़ करना यहां के प्रबंधक की आदत से बनी हुई है।यहां भी करीब 600 मजदूर जहां भुखमरी के के कागार पर हैं वहीं गन्ना उत्पादकों का करीब दस करोड़ रूपये मिल मालिक के यहां बकाया है।
प्रत्येक वर्ष गन्ना की पेराई के मौका पर किसानों को मिल प्रबंधन द्वारा मिल चलाने का आश्वासन दिया जाता है और उसे चालू भी किया जाता है किन्तु ब्वाॅयलर खराब होने की समस्या बताकर फिर बन्द कर दिया जाता है। चकिया में स्थित चीनी मिल तो एक कबाड़ी के हाथों बेच दी गयी है और उसके जमीन को अवैध तरीके से अतिक्रमित कर लिया गया है। इस मिल के पास करीब 600 एकड़ अपनी जमीन है।
यही हाल पश्चिमी चम्पारण जिले के चनपटिया व बगहां में स्थित चीनी मिल का है।बगहा चीनी मिल भी प्रत्येक वर्ष चलने के साथ ही बंद हो जाती है। इस मिल प्रबंधन के यहां भी किसानों का करीब दस करोड़ रूपये का बकाया है। यहां बकाया राशि के भुगतान की मांग को लेकर किसान आंदोलन भी समय समय पर करते रहते हैं। इन चीनी मिलों के बंद रहने से चम्पारण के गन्ना उत्पादक काफी चिन्तित हैं और सरकार की नीतियों पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं।
धरना प्रदर्शन
यहां बताते चले कि किसानों द्वारा जिले में दर्जनों बार बकाया भुगतान के लिए धरना व आंदोलन भी किया गया और किन्तु आष्वासन के सिवा उन्हें कुछ नही मिला। मजे की बात यह है कि बिहार सरकार के गन्ना मंत्री भी इसी जिले के विधायक हैं । दूसरी तरफ मिल प्रबंधन के इस रवैये पर राजद ने कड़ा विरोध जताया है। युवा राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष सह मोतिहारी विधान सभा के पूर्व प्रत्याषी राजेशगुप्ता उर्फ बब्लू गुप्ता,पार्टी के वरिष्ठ नेता डा0शमीम अहमद, जिला विधिज्ञ संघ के महासचिव अधिवक्ता राजीव कुमार द्विवेदी उर्फ पप्पु दुबे, जिलाध्यक्ष बच्चा यादव व नसीमा खतून आदि नेताओं ने मिल प्रबंधकों की इस रवैये के खिलाफ आंदोलन करने की धमकी दी है। कुल मिलाकर चम्पारण की चीनी मिलों से लाभ कम व नुकसान अधिक है।