लगभग डेढ साल से बंद, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन आखिरकार पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर शुक्रवार को एक विशेष कार्यपालक दंडाधिकारी की उपस्थिति में खोला गया। इस प्रकार एक लम्बे जद्दोजहद के बाद सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ पुनः सम्मेलन परिसर में अपना अधिकार पाने में सफ़ल हुए।
स्मरणीय है कि, डा सुलभ ने पटना उच्च न्यायालय में, कदमकुआं थाना के तत्कालीन थाना-प्रभारी बी के मेधावी द्वारा, विगत 19 अक्टुबर,2014 को, सम्मेलन-भवन पर, विना किसी न्यायिक अथवा प्रशासनिक आदेश के, ताला लगा दिये जाने के विरुद्ध, एक याचिका दायर की थी, जिस पर गत 22 जुलाई को, न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह ने सुनवाई करते हुए, प्रशासन को अविलंब ताला खोलने तथा विधि सम्मत निर्वाचित अध्यक्ष को पुलिस की उपस्थिति में सम्मेलन-परिसर सुपुर्द करने तथा पुनः 24 जुलाई को की गयी कार्रवाई से न्यायालय को अवगत कराने का आदेश दिया था।
न्यायालय के उक्त आदेश के आलोक में कर्रवाई की गयी. इसके लिए अनिल सुलभ ने लम्बी लड़ाई लड़ी और उनके प्रयास से साहित्य सम्मेलन का ताला खुल गया। बड़े दिनों से उपेक्षित और बंद पड़े रहने के कारण सम्मेलन की अवस्था दयनीय हो गयी है, किंतु इसके पुनुरुद्धार के लिये सारे प्रयास किये जायेंगे और फ़िर सम्मेलन की ऐतिहासिक प्राचिन गरिमा बहाल की जायेगी। प्रसन्नता व्यक्त करने वालों में प्रसिद्ध साहित्यकार और विश्व विद्यालय सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो शशिशेखर तिवारी, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त, कवि सत्यनारायण, पं शिवदत्त मिश्र, जियालाल आर्य, मृत्युंजय मिश्र करुणेश, बलभद्र कल्याण, शायर ज़फ़र सिद्दिकी, नाशाद औरंगाबादी, आरपी घायल, डा मेहता नगेन्द्र सिंह, राजीव कुमार सिंह ‘परिमलेन्दु’, डा नागेन्द्र प्रसाद मोहिनी, राज कुमार प्रेमी, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, डा नागेश्वर यादव, श्रीकांत सत्यदर्शी, डा उपेन्द्र राय, घमंडी राम, डा नरेश पाण्डेय चकोर, स्नेहलता पारुथी, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, कृष्ण रंजन सिंह, रामनंदन पासवान, श्याम बिहारी प्रभाकर, डा विनय कुमार ‘विष्णुपुरी’, नीरव समदर्शी, प्रवक्ता अजय कुमार, सुमन मल्लिक, डा अर्चना त्रिपाठी, संगीताचार्य श्याम किशोर तथा मनोज कुमार सिंह के नाम शामिल है।
आज न्यायालय में सरकार के अधिवक्ता एएजी-6 अंजनी कुमार सिंह ने न्यायिक आदेश का अनुपालन कर दिये जाने की सूचना दी। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता महाश्वेता चटर्जी ने न्यायालय से आग्रह किया कि सम्मेलन-अध्यक्ष और उनकी कार्यसमिति को सुविधापूर्वक कार्य करने हेतु सुरक्षा उपलब्ध कराया जाये। न्यायालय ने उनके आग्रह को मानते हुए, सरकार को आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।