‘तानाशाह’IAS के.के पाठक पर अदालत ने पौने लाख रुपये का जुर्माना ठोका है.इससे पहले दलित अफसर को अपने चैम्बर में पीटने का मुकदमा भी झेल चुके हैं पाठक.
बिहार के आईएएस अधिकारी के.के पाठक द्वारा तानाशाही रवैया अपनाने को लेकर पटना हाईकोर्ट ने उनपर पौने दो लाख रुपया जुर्माना लगाया है. न्यायमूर्ति आरआर प्रसाद की पीठ ने रविशंकर सिंह एवं अन्य द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
गौरतलब है, स्टाम्प ड्यूटी जमा करने में विलम्ब होने से नाराज हो कर के.के पाठक ने विभिन्न जिला के उपनिबंधकों को आदेश दिया था कि वे स्टेट बैंक आफ इंडिया के सात शाखा प्रबंधकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करें. जिसके बाद कई जिला के उप निबंधक ने याचिकाकर्तओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराते हुए उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश भी दे दिया था.
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अभियुक्त शाखा प्रबंधकों ने केके पाठक के उक्त आदेश के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत को बताया गया कि ऐसे मामलों में आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करते हुए केके पाठक पर 1.75 लाख रुपया जुर्माना ललगाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह उक्त राशि केके पाठक की तन्ख्वाह से वसूल कर हर याचिकाकर्त को 25-25 हजार रुपये दे.
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याद रहे कि 2013 में केके पाठक पर एक अनुसूचित जाति के अधिकारी ने एससी-एसटी ऐक्ट के तहत पटना के सचिवालय थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. वित्त विभाग के ऑडिटर लक्षमण राम ने उन पर आरोप लगाते हुए एफआईआर में कहा था कि “उन्होंने मुझे अपने चैम्बर में बुलाया. कुछ मुद्दों पर बातचीत की और फिर मेरे गले में पड़े मफलर को पकड़ कर खीचा और बुरी तरह से पिटाई भी की. उन्होंने मेरी जाति का नाम लेते हुए मुझे गालियां भी दीं”.
उस समये केके पाठक मानव संसाधन एंव विकास विभाग के सचिव थे. यह मामला बिहटा के एक कालेज को ले कर था.
आप को याद दिला दें कि यह वही केके पाठक हैं जो 2016 के अप्रैल में लागू होने वाले पूर्ण शराबबंदी कानून की रूप रेखा तैयार करवाई थी.