जद यू विधायक अनंत सिंह के सितारे गर्दिश में हैं. अदालत का रुख उनके खिलाफ गया है तो प्रशासन उनके पीछ पड़ा है. जबकि वह खुद जेल में हैं.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट इन
शोर पुटूस यादव नामक व्यक्ति की हत्या का है, पर राजू सिंह नामक व्यक्ति के अपहरण के आरोप में अनंत सलाखों के पीछे भेजे गये हैं. एक तरफ दानापुर के स्थानीय कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी है तो दूसरी तरफ बाढ़ की अदालत में उन्हें अब पुटूस की हत्या मामले में पेश किया जाना है. मोकामा से लेकर बाढ़ और पटना तक अनंत के दो सौ के करीब सहयोगियों के पीछे पुलिस पड़ी है. कार्तिक सिंह नामक, अनंत के एक सहयोगी जेल में डाले जा चुके हैं. उधर पुटूस की हत्या में दो दर्जन कथित आरोपियों को पकड़ा जा चुका है.
अनंत सिंह के बारे में काफी विरोधाभासी चर्चा रही है. एक तरफ उनके ऊपर दो दर्जन से ज्यादा- हत्या, फिरौती रंगदारी आदि के मामले हैं तो दूसरी तरफ महज कुछ सालों में आलीशान महलों और बड़े कारोबार के फैले जाल की चर्चा है. सो उनके हर कारोबार की बारीकियों की छानबीन करने में अलग अलग एजेंसिया जुटी हैं.
दूसरी तरफ पुलिस पुटूस यादव की हत्या के हर पहलू की छानबीन करने में लगी है. थानों को चौकस बनाने के लिए बाढ़ और मोकामा के थानेदारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. आंतिरक रिपोर्ट में खबर यह भी आई थी कि कुछ थानेदार अनंत सिंह से मिले हुए हैं. इसलिए ग्रामीण एसपी की अनुसंशा पर एसएसपी विकास वैभव ने तीन थानेदारों को बदल दिया है. उधर अनंत सिंह के आवास पर खून से सने कपड़े की जांच के लिए भेजा चुका है. इस मामले में पुटूस के घर वालों का डीएनए सैम्पल लिया जा चुका है. जांच और पुलिस की कार्रवाई तेजी से आगे बढ़ रही है.
दूसरी तरफ बाढ़, मोकामा, पटना समेत अनंत सिंह के दो सौ से ज्याद सहयोगियों की जान सांसत में हैं. लगातार पुलिस छापेमारी कर रही है. मोकामा के इलाके में पुलिस की कार्रवाई से खलबली है.
बड़ा राजनीतिक मुद्दा
उधर अनंत जेल में हैं और वह किसी से मिलजुल नहीं रहे. सूत्र बाताते हैं कि पिछले चार दिनों में वह अपने कानूनी सलाहकारों के अलावा किसी से नहीं मिले हैं. वह जेल में खामोश हैं पर बाहर उन्हीं के नाम का हंगामा है. राजनेता इसे भूमिहार बनाम पिछड़ा की लड़ाई बना चुके हैं. इसे हवा देने में सबसे महत्वपूर्ण नाम रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष अरूण कुमार का है. जिन्होंने एक खास समाज के पीछे पड़ने की बात कह कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कलेजा तोड़ने तक की बात कह दी. उन्होंने यह भी कह डाला कि इस समाज ने चूड़िया नहीं पहन रखी हैं. अनंत सिंह प्रकरण धीरे-धीरे एक बड़ा राजनीतिक मुदादा बनता जा रहा है. दिलचस्प बात यह है कि इसे खुद को अनंत के पक्षधर होने का दावा करने वाले ही इसे मुद्दा बना रहे हैं. जबकि अनंत सिंह विरोधियों की तो इच्छा ही है कि इसे मुद्दा बनने दिया जाये. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष अतिउत्साह में अनंत के नाम पर राजनीति करने में गच्चा खा चुके हैं.
भले ही अनंत के सितारे गर्दिश में हैं लेकिन राजनीति के चालबाजों द्वारा अनंत सिंह के सांकेतिक व सामाजिक छवि के नाम पर सियासी चमक हासिल करने की कोशिश की जा रही है. आने वाले दिनों में यह मुद्दा ठंडा पड़ने वाला नहीं है.