ऐतिहासिक तथ्यों की गड़बडियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए साधारण बात हो चुकी है। वे जब भी रौ में होते हैं, सिकंदर को गंगा पार करा देते हैं और मोहन दास करमचंद गांधी को मोहन लाल गांधी बना देते हैं।
इन दिनों वह नए तरह के इतिहास का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि वे दीनानाथ बत्रा की किताबों से विशेष रूप से प्रभावित हैं। अपने भाषणों में वे ऐसे उदाहरण दे रहे हैं, जिनका स्रोत दीनानाथ बत्रा की किताबें हैं।
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पिछले सप्ताह मुंबई में आयोजित एक कर्यक्रम में उन्होंने मेडिकल साइंस को मिथकों से जोड़ दिया। उन्होंने महाभारत के चरित्र कर्ण के जन्म को जेनेटिक साइंस और भगवान गणेश के मुख को प्लास्टिक सर्जरी का नमूना बताया
महाभारत और जेनेटिक साइंस
शनिवार को मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘मेडिकल साइंस की दुनिया में हम गर्व कर सकते हैं कि हमारा देश किसी समय क्या था। महाभारत में कर्ण की कथा, हम सब कर्ण के विषय में महाभारत में पढ़ते हैं। लेकिन कभी हम थोड़ा सा और सोचना शुरु करें तो ध्यान में आएगा कि महाभारत का कहना है कि कर्ण मां की गोद से पैदा नहीं हुआ। इसका मतलब ये है कि उस समय जेनेटिक साइंस मौजूद था। तभी तो मां की गोद के बिना कर्ण का जन्म हुआ होगा।’
प्लास्टिक सर्जन और गणेशजी
मोदी ने भगवान गणेश के हाथी के मुख्य की व्याख्या कुछ यों कि, ‘कोई तो प्लास्टिक सर्जन होगा उस जमाने में जिसने मुनष्य की गर्दन पर हाथी की गर्दन रखकर प्लास्टिक सर्जरी का प्रारंभ किया होगा। देश में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाए जाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पुराने जमाने में भारत कई क्षेत्रों में सक्षम था।’
मोदी ने कहा कि कई ऐसे क्षेत्र थे, जिनमें हमारे पूर्वजों ने अहम योगदान दिया। कई क्षेत्रों में हमारे योगदान को सराहा भी जाता है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में हमारे पूर्वजों का महत्वपूर्ण योगदान है। आर्यभट्ट ने जो खोज सदियों पहले की थी, उसके महत्व को आज समझा जा रहा है।
गांधारी की सौ संतान पर मोदी के विचार
प्रधानमंत्रो मोदी की बातें दीनानाथ बत्रा की किताबों ‘तेजोमय भारत’ की कई बातों से मेल खाती हैं। बत्रा ने अपनी किताब में कहा है कि अमेरिका स्टेम सेल रिसर्च का श्रेय लेने की कोशिश में है, जबकि सच यह है कि भारत के डॉक्टर बालकृष्ण गणपत मातापुरकर को शरीर के अंगों को उगाने का पेटेंट मिल चुका था। मातापुरकर का रिसर्च महाभारत से प्रेरित था। महाभारत में गांधारी की सौ संतानें स्टेम सेल तकनीकी जैसी तकनीकी से पैदा हुई थी।
उल्लेखनीय है कि बत्रा की किताब तेजोमय भारत गुजरात में अनिवार्य रूप से पढ़ाई जा रही है।