लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद लालू प्रसाद और नीतीश कुमार क्या साथ हो जायेंगे? अब यह बहस राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यू के अंदरखाने में शुरू हो गयी है.
इर्शादुल हक
ध्यान रखने की बात है कि लालू प्रसाद ने चुनाव परिणाम आने के बाद की पहली प्रतिक्रिया में यह इशारा भी दिया है कि साम्प्रदायिकत शक्तियों से देश को बचाने के लिए धर्मनिरपेक्ष और समाज वादी शक्तियों को एक होना पड़ेगा.
हालांकि लालू के इस बयान के बाद जनता दल यू की तरफ से अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है लेकिन सूत्र बताते हैं कि जनता दल यू के अंदर इस बात पर गंभीरता से विचार होने लगा है.
जनता दल यू के वरिष्ठ नेता और मंत्री डा भीम सिंह ने अपने फेसबुक पर अपने फॉलोअर्स और मित्रों से सवाल करते हुए पूछा है कि चुनाव परिणामों के बाद समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को क्या अब एक हो जाना चाहिए?
याद करना चाहिए कि कोई 18 साल पहले लालू प्रसाद और नीतीश कुमार साथ हुआ करते थे लेकिन राजनीतिक परस्थितियों ने दोनों को अलग कर दिया था और नीतीश भाजपा गठबंधन का हिस्सा बन गये थे.
लेकिन मौजूदा चुनाव परिणामों के बाद नीतीश कुमार और राजद के पास काफी कम विकल्प रह गये दिखते हैं. वैसे भी नीतीश कुमार की सरकार पर अब संकट के बादल घिर रहे हैं. अगर उन्हें लालू का समर्थन मिल जाता है तो उनकी सरकार भी बचने की संभावना प्रबल हो जायेगी. विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में अब मात्र एक साल बचे हैं और ऐसे में लालू-नीतीश एक हो जाते हैं तो उन्हें अगले चुनाव तो खुद को मजबूत शक्ति के रूप में पेश करने का अवसर भी मिल जायेगा.
लोकसभा चुनाव के परिणाम ने राजद और जद यू को काफी कमजोर कर दिया है. पिछले लोकसभा में जहां नीतीश की पार्टी को 20 सीटें थी अब मात्र 2 रह गयी हैं. वहीं राज इस बार भी अपनी स्ट्रेंथ में कोई इजाफा नहीं कर सका. वह पिछली बार की तरह इसबार भी महज 4 सीटों तक ही सिमटा रहा है.
जिस तरह की राजनीतिक हालात बिहार में बने हैं ऐसे में राजद और जद यू के पास बहुत विक्लप भी नहीं है. ऐसे में समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को फिर से वापसी करनी है तो उन्हें अपने मतभेद भुलाने ही पड़ेंगे और एक मजबूत विक्लप के रूप में सामने आना पड़ेगा.