कृतज्ञ दुनिया आज यानी 28 अक्टूबर को जोनस सॉल्क की सौवीं जयंती मना रही है, जिनके पोलियो वैक्सीन ने भारत समेत दुनिया के दर्जनों देशों को पोलियोमुक्त कर दिया.
नौकरशाही डेस्क
गेट फाउंडेशन ने जोनस साल्क को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि “1955 में सॉल्क ने अपने पोलियो वैक्सीन का पेटेंट नहीं कराने का फैसला लेकर इस दवा को करोड़ों लोगों के लिए सुलभ बना दिया. अगर सॉल्क ने यह पेटेंट करा लिया होता तो आज उनके पास 7 बिलियन डॉलर यानी 420 करोड़ रुपये की अकूत सम्पत्ति होती. डॉ. सॉल्क आपका दिल की गहराइयों से शुक्रिया”.
28 अक्टूबर 1914 को जन्मे जोनस एडवर्ड सॉल्क की मृत्यु 14 जून 1995 को हुई. उन्होंने पोलियो वैक्सीन का आविष्कार 1957 में किया. उस समय अमेरिका के लिये पोलियो एक गंभीर चुनौती के रूप में छा चुका था.
गूगल ने भी आज उनके सम्मान में अपना डूडल समर्पित कर दिया है.
1952 में तो अमेरिका में पोलियो खतरनाक रूप में सामने आया और उस समय देश में 58 हजार मरीजों की पहचान हुई. इनमें 3145 बच्चे तो मौत के शिकार हो गये जबकि 21 हजार से ज्यादा बच्चे अपाहिज हो गये. लेकिन अपने सात सालों की कड़ी मशक्कत और रिसर्च के बाद सॉल्क ने जो वैक्सीन दुनिया को दिया उसकी मिशाल नहीं मिलती.
गेट्स फाउंडेशन का कहना है कि अभी तक स्मॉल पॉक्स ही ऐसी महामारी है जिसके वैक्सीन ने दुनिया को इस बीमारी से निजात दिलायी. लेकिन आने वाले कुछ वर्षों में निश्चित तौर पर पोलियो से भी दुनिया मुक्त हो चुकी होगी.
संतोष की बात है कि इसी वैक्सीन ने भारत को भी पोलियोमुक्त करने में भूमिका निभाई. इसी वर्ष 27 मार्च 2014 को वर्लड हेल्थ आर्ग्नाइजेशन ने भारत के तत्कालीन स्वास्त्य मंत्री गुलाम नबी आजाद की मौजूदगी में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया.
इससे पहले भारत में हर साल लगभग 50 हजार बच्चे पोलियो की चपेट में आ जाते थे .
नौकरशाही डॉट इन जोनस को अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करती है.