इंडियन आर्कियोलॉजिकल सोसाइटी और पुरातत्व निदेशालय (कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय ‘वार्षिक पुरातात्विक संगोष्ठी’ का आज समापन हो गया। संगोष्ठी का समापन समारोह बिहार म्यूजियम में आयोजित किया गया, जहां मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परामर्शी सह बिहार के पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह शामिल हुए।
नौकरशाही डेस्क
उन्होंने बिहार में हुए इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय ‘वार्षिक पुरातात्विक संगोष्ठी’ की सराहना की। मौके पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव रवि मनुभाई परमार भी मौजूद रहे। वहीं समापन समारोह के दौरान वोट ऑफ थैंक्स पुरातत्व निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार के निदेशक डॉ अतुल कुमार वर्मा ने दिया।
उन्होंने कहा कि बिहार में पहली बार राष्ट्रीय स्तर की पुरातात्विक संगोष्ठी सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इसमें देश भर से आये पुरातत्वविद, इतिहासकार, रिसर्च और स्कॉलर ने व्याख्यान दिया। इस आयोजन को सफल बनाने में लगे लोगों को आभार। इसमें देशभर से विद्वान शामिल हुए और हिंदुस्तान की पुरातात्विक धरोहर, विरासत और परंपराओं से चर्चा के दौरान लोगों को अवगत कराया। इसमें पटना के लोगों की भागीदारी खूब देखने को मिली है। ऐसे मौके बार – बार नहीं आते जब अपनी विरासत को इतने करीब से जानने का मौका मिले।
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उन्होंने बताया कि अब विद्वत संगोष्ठी सत्रों के बाद कल 09 फरवरी 2019 को प्रतिभागियों को नालंदा की वृहत विरासत का परिभ्रमण करवाया जाएगा। इस कार्यक्रम में भारतीय अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष (ICHR) प्रो. अरविंद जामखेडेकर, प्रो. प्रमोद जोगेलेकर (पुरा जंतु विज्ञान विशेषज्ञ, पुणे), डॉ तेजस गर्गे (निदेशक पुरातत्व महाराष्ट्र) प्रो. सुषमा देव (डेक्कन कॉलेज, मणि) प्रो. अशोक कुमार सिंह (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) आदि नामी विद्वान संगोष्ठी में भाग ले रहे हैं।
इससे पहले पटना म्यूजियम में संगोष्ठी के तीसरे दिन भी परिचर्चा जारी रहा। इस दौरान आज रवि एस गुप्ता ने पुरातात्विक धरोहर संसाधन क्षत्रियकुंड,जमुई, शशिबाला श्रीवास्तव व के सी श्रीवास्तव लखनऊ म्यूजियम का वराही, एलोरा त्रिबेदी ने भारत के पूर्वी भाग में मूर्तियों की पुरातात्विक भूमिका और पुनः प्रसंग के मुद्दे, उमेश कुमार सिंह ने बिहार संग्रहालयों में मिश्रित हरिहर मूर्तियां, चित्ता रंजन जीना ने ओडिसा के मंदिर की दीवारों पर पशु आकृति,विजय सर्दे ने महाराष्ट के मध्यकालीन मंदिरों पर योग के प्रारंभिक चित्रण, राकेश कुमार बंसल ने भारत में मगल शासन में सड़कों और सड़कों का प्रशासनिक प्रबंधन, प्रेम रंजन प्रसाद ने संग्रहालयों में सुरक्षा और जोखिम की तैयारी और डी पी तिवारी ने सांचकोट से नए खोजे गए सिक्के पर व्याख्यान दिया।