पूर्व आईएएस अफसर एमए इब्राहिमी दिल्ली के राज्यपाल नजीब जंग और सीएम केजरीवाल के बीच आईएएस शकुंतला गैमलिन विवाद की बारीकियों से पर्दा उठा रहे हैं. ये हैं इसके तीन ऐंगल.
शकुंतला गैमलिन को दिल्ली का कार्यारी मुख्यसचिव बनाये जाने के विवाद में शामिल खिलाड़ियों को समझने की जरूरत है. उपराज्यपाल नजीब जंग केंद्र सरकार के नुमाइंदा हैं. उनके पास भूमि, कानून व्यवस्था और पुलिस जैसे मामलों पर हक है. लेकिन बाकी अन्य मामलों में उन्हें मुख्यमंत्री के मश्विरा पर काम करना है.
लेकिन शकुंतला मामले में उन्होंने अपनी इच्छा लाद कर अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है. इससे शासन करने की नजीब जंग की महत्वकांक्षा उजागर हो गयी है.
नजीब जंग का ऐंगल
नजीब जंग एक आईएएस अफसर रहे हैं और उन्हें मुख्यमंत्री के कार्यक्षेत्र की बखूबी जानकारी है. नजीब जंग पर यह आरोप लग सकता है कि उन्होंने शकुंतला गैमलिन की तरफदारी की जो रिलायंस को सपोर्ट करती हैं और यह भी सच है कि नजीब जंग ने खुद भी रिलायंस के लिए कई साल काम किया है.
केजरीवाल का ऐंगल
अरविंद केजरीवाल को अफसरों को नियुक्त करने का पावर है. उन्होंने जानबूझ कर इस मामले में विवाद खड़ा किया है, यह जताने के लिए दिल्ली का रियल बॉस कौन है. हालांकि गैमलिन के रिलायंस से ताल्लुकात को इस मामले से अलग रखना चाहिए. अगर सचिव होना बुराई नहीं तो मुख्यसचिव बनाये जाने में क्या हर्ज है.
देश में ऐसे कई नमूने हैं जिसमें राज्यों के मुख्य सचिव और केंद्र के सचिव कोर्ट द्वारा कंविक्ट किये गये हैं. केजरीवाल खुद भी नौकरशाह रहे हैं. उन्हें पता है कि कैसे नौकरशाहों के रहते कैसे फैसले लिये जाते हैं और उन्हें लागू किये जाते हैं. गैमलिन ने खुद से ही, खुद को चीफ सेक्रेट्री नियुक्त नहीं किया है.
गैमलिन का ऐंगल
ऐसे में उन्हें विवादों में क्यों घसीटा जाना चाहिए. इसलिए केजरीवाल को इस मामले में डायरेक्ट नजीब जंग से भिड़ना चाहिए न की इस मामले में गैमलिन को घसीटना चाहिए. हालांकि यह भी सच है कि भारत में कई मुख्यमंत्री स्वतंत्र दिमाग वाले नौकरशाहों के संग गंदा खेल खेलते रहे हैं.
जहां तक शकुंतला गैमलिन की बात है तो इस मामले में उन्होंने रिलायंस की तरफदारी की है या नहीं, यह एक अलग मामला है लेकिन यह भी सच है कि उनका हक है कि वह कार्यवाहक या नियमित मुख्यसचिव बनायी जायें.
गौरतलब है कि उनके खिलाफ इस मामले में कोई जांच भी नहीं चल रही है.
अब सोचने की बात है कि इतने विवादों के बाद गैमलिन ठीक से काम नहीं कर सकती हैं ऐसे में अपने करियर को देखते हुए गैमलिन को जितना जल्द हो सके केंद्र सरकार को ज्वाइन कर लेना चाहिए राजनीतिक लड़ाई में नौकरशाहों को नहीं घसीटा जाना चाहिए. भारत सरकार को या दिल्ली सरकार को इस मामले में राजनीति करनी है, उन्हें करने दें. ये उनका काम है.