भाकपा माले ने बिहार में दबे-कुचले और उपेक्षितों के साथ हो रहे अन्याय और दमन के विरोध में राज्य के 14 जिलों की अधिकार यात्रा के बाद रविवार को राजधानी पटना में अधिकार रैली आयोजित करेगी। भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में अधिकार रैली ऐसे समय में हो रही है, जब नोटबंदी के 100 दिन पूरे हो चुके हैं। नोटबंदी के सौ दिन गरीबों, मजदूरों, किसानों और आम जनता के लिए बेहद परेशानी और तबाही के दिन साबित हुये हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ नोटबंदी का कहर और दूसरी तरफ नशाबंदी के नशे में डूबी बिहार की नीतीश सरकार के कार्यकाल में लगातार गरीबों और मजदूरों का दमन हो रहा है।
श्री कुणाल ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुगलबंदी चरम पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से दूसरे राज्यों में काम करने वाले बिहार के हजारों मजदूरों का रोजगार छिन गया। वे जब वापस बिहार लौटे तो नीतीश सरकार की गरीब विरोधी नीतियों के कारण रोजगार के मोर्चे पर भी उन्हें यहां भी मायूसी हाथ लगी। ऊपर से राज्य में बड़े-बड़े बिल्डरों के दबाव में किसानों को जमीन से बेदखल भी किया जा रहा है। आमलोगों के साथ हो रहे अन्याय का विरोध करने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए रविवार को अधिकारी रैली होगी, जिसमें लाखों की संख्या में लोग आएंगे।
माले नेता ने कहा कि पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के नेतृत्व में हुई अधिकार यात्रा के दौरान लोगों में नीतीश सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश दिखा। लोगों का कहना है कि सामंतों को संरक्षण देने वाली भाजपा के विरोध में किये गये मतदान से राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी है। लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के श्री मोदी के फैसलों में सुर मिलाने से वह ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में सत्ता संरक्षित अपराध को समाप्त करने की जरूरत है।