हिंदी और भोजपुरी के वरिष्ठ कवि पं जनार्दन प्रसाद द्विवेदी नही रहे। विगत १४ मई को हीं उन्होंने अपने जीवन का ८५ वर्ष पूरा किया था। आज संध्या ५ बजे सिपारा स्थित एक निजी अस्पताल में,उन्होंने अपनी अंतिम साँस ली। उन्हें पेट और सीने में तेज़ दर्द की शिकायत पर अस्पताल में आज हीं दिन में भर्ती कराया गया था। उनके निधन से साहित्य–संसार में गहरा शोकव्याप्त है।
उनके निधन पर साहित्य सम्मेलन ने गहरा शोक व्यक्त किया है। सम्मेलन में तत्काल हीं शोक–गोष्ठी आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष ने कहा कि, पं द्विवेदी के निधन से हिंदी और भोजपुरी साहित्य ने एक बड़ा हीं प्रतिभावान रचनाकार और एक प्रज्ज्वल नक्षत्र खो दिया है। डा सुलभ ने श्रद्धापूर्वक उनका स्मरण करते हुए कहा कि, आज से मात्र ६ दिन पूर्व उनके साथ सम्मेलन के अधिकारियों ने उनके मीठापुर स्थित आवास पर जाकर उनके ८६वें जन्म–दिवस पर उनका अभिनंदन किया था।
शोक–गोष्ठी में सम्मेलन के साहित्यमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा मधु वर्मा,मृत्युंजय मिश्र‘करुणेश‘, कवि बच्चा ठाकुर, पं गणेश झा, डा आर प्रवेश,सुनील कुमार दूबे,ऋषिकेश पाठक, डा विनय कुमार विष्णुपुरी,आचार्य आनंद किशोर शास्त्री आदि साहित्यसेवियों ने शोकोदगार व्यक्त किए।
आज हीं पटना के गुलबी घाट पर उनका अग्नि–संस्कार संपन्न हुआ। उनके एक मात्र पुत्र वेद प्रकाश द्विवेदी ने मुखाग्नि दी। इसके पूर्व उनका पार्थिव शरीर साहित्य सम्मेलन परिसर में लाया गया,जहाँ साहित्यकारों नें पुष्पांजलि देकर श्रद्धा–तर्पण दिया।