उमर अशरफ की कलम से
इस हादसे मे हमने कई लोगों को खो दिया जिनमे से मैं किसी को जानता तक नही पर एक साहेब हैं जिन्हे मै पिछले कई सालों से फ़ेसबुक के ज़रिए से जानता हूं.. और वो हैं ‘अभिषेक कुमार श्रीवास्तव’ जो पटना विश्वविद्यालय का एक होनहार छात्र थे जिन्हे पटना का मुद्रा संग्रहकर्ता के नाम से जाना जाता था. ग़ज़ब का टैलेंट था अभिषेक श्रीवास्तव मे यही वजह है कि वह पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले वाणिज्य महावविद्यालय के छात्र युनियन के अध्यक्ष भी रह चुके थे.
अभिषेक के बारे में पटना के पूर्व एसपी शिवदीप लांडे ने भी अपनी संवेदना व्यक्त की. उन्होंने लिखा अभिषेक तुम मेरे दिल में हमेशा जिंदा रहोगे. उन्होंने अभिषेक को उन चंद युवाओं में से एक बताया जिन्होंने उनके साथ मिल कर अच्छे बिहार के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाई
ये बात बहुत कम लोगों को मालूम होगी कि अभिषेक श्रीवास्तव ना सिर्फ़ मुद्रा संग्रहकर्ता थे बल्कि इतिहास और धरोहर से प्यार करने वाले भी थे, उन्होने पटना के लिए वह काम करके दिखाया जो भारतीय पुरातत्व विभाग भी अब तक नही कर सका.अभिषेक श्रीवास्तव का मानना था :- प्राचीन पाटलिपुत्र से लेकर वर्तमान पटना साहिब की ऐतिहासिकता और आधुनिकता लिए गली-मोहल्ले की गाथा आज भी स्थानीय निवासियों से लेकर देशवासियों के जेहन में है,लेकिन नई पीढ़ी इन गाथाओं से पूरी तरह परिचित नहीं हो पाई है | जिसकी पूरी जानकारी के लिए नगर के विभिन्न मोहल्लों के इतिहास के पन्नों से सजगता के साथ लोगों के समक्ष फ़ेसबुक मे माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूं | इसमें कई ऐसे तथ्य एवं कथ्य समावेश किया हूं जो वर्तमान लोगों की जानकारियों से दूर है |
अभिषेक श्रीवास्तव ने एक फ़ेसबुक पेज बनाया ” पटना सिटी के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल.” जिसमे उन्होने पटना मे मौजूद तमाम ऐतिहासिक धरोहरों की फोटो के साथ जगह दी जिसमे कुछ नाम इस तरह हैं :-
जैनुद्दीन अहमद खान का मकबरा , रानीपुर , श्री जल्लावाले हनुमान मंदिर , गोलघर , बुद्घ स्मृति पार्क एवं बांकीपुर जेल अवशेष , तख्त श्री हरमंदिर साहिब , सिद्ध शक्तिपीठ श्री छोटी पटनदेवी मंदिर , पादरी की हवेली , मंगल तालाब , कुम्हरार , मोर्यकालीन कुंआ एवं शीतला मंदिर , कालीस्थान , पश्चिम दरवाज़ा , मीर अशरफ की मस्जिद , शेरशाह की मस्जिद , आदि श्री चित्रगुप्त मंदिर , ख़ानक़ाह-ए-एमादिया वग़ैरा.
अभिषेक का व्यक्तित्व
मै अकसर इनके पेज पर जाया करता था और अपने काम की चीज़ ढ़ुंडा करता था अभी कुछ दिन पहले ही इनसे फ़ेसबुक ज़रिये बात हुई थी.. कुछ नया बताने वाले थे, पर…….?
अभिषेक श्रीवास्तव ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल पर लिखे अपने लेख की वजह कर अकसर अख़बार मे छाए रहते थे.
मुझे अभिषेक श्रीवास्तव से मुलाक़ात ना करने का मलाल हमेशा रहेगा… 10 जुलाई 2016 को अभिषेक श्रीवास्तव ने अपने फ़ेसबुक वाल पर लिखा था :-
हमारे जीवन काल में केवल दो ही दिन ऐसे होते हैं, जो 24 घंटों के नहीं होते ?
पहला जिस दिन हम पैदा होते है
और दूसरा जिस दिन हम दुनिया छोड़ देते हैं ।
इसलिए जीवन का आनंद 24 घंटे उठाइये ।
हँसते रहिये हंसाते रहिये – सदा मुस्कुराते रहिये !!