केंद्र सरकार ने भारी दबाव से गुजर रहे निर्माण क्षेत्र में सुधार के उद्देश्य से किये जा रहे उपायों को आज मंजूरी प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। नीति आयोग द्वारा सुझाये गये कदमों के आधार पर यह प्रस्ताव बनाया गया था। इसके तहत अब सरकारी एजेंसियों पर पंचाट द्वारा लगाये गये जुर्माने की 75 फीसदी राशि एस्क्रो खाते में जमा कराई जायेगी, जो मार्जिन मुक्त बैंक गारंटी होगी। यह राशि सिर्फ उन मामलों में जमा करायी जायेगी जिनमें पंचाट द्वारा लगाये गये जुर्माने को चुनौती दी जाती है।
एस्क्रो खाते का उपयोग बैंक ऋण का पुन: भुगतान या जारी परियोजनाओं पर व्यय की जायेगी। इस पहल से बैंकों के ऋण की रिकवरी करने में मदद मिलेगी और चालू परियोजनाओं को क्रियान्वयन में तेजी आयेगी। इससे निर्माण कंपनियों की नये ठेके हासिल करने की क्षमता बढ़ेगी। इसके परिणाम स्वरूप प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सरकारी कार्यों की लागत में कमी आयेगी। इन उपायों से निर्माण क्षेत्र को गति मिलेगी और रोजगार के अवसर भी बढेंगे।
भागीदारी के तहत 1,145.36 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्विकसित करने की मंजूरी दे दी है।
परियोजना को 36 महीने में पूरा किया जायेगा। इसके तहत तीन पुराने बर्थों का पुनर्विकास किया जायेगा और 38 वर्ष पुराने उपकरण बदले जायेंगे ताकि इस बंदरगाह पर लौह अयस्क, बॉक्साइट, जिपस्म, चूना पत्थर, उर्वरक और स्टील क्वॉल आदि का परिवहन हो सके। अभी इस बंदरगाह की क्षमता 1.3 करोड़ टन वार्षिक है, जो पुनर्विकास के बाद बढ़कर 1.95 करोड़ टन जायेगी।