केंद्र सरकार ने दो वर्ष या उससे अधिक समय से निष्क्रिय करीब सवा दो लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर दिया है और तीन लाख नौ हजार निदेशकों को अयोग्य करार दिया है। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने जारी एक एक बयान में कहा कि इन कंपनियों के बैंक खातों से लेनदेन पर पाबंदियां लगा दी गयी हैं। शुरूआती जांच में पता चला है कि नोटबंदी के बाद पैंतीस हजार कंपनियों ने अट्ठावन हजार खातों से सत्रह हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम निकाली है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार बैंक खातों से लेनदेन पर रोक के अलावा इन कंपनियों की परिसंपत्तियों की बिक्री और हस्तांतरण पर भी रोक लगा दी गयी है। इन कंपनियों और खातों से जुड़े किसी अपराध की संभावना वाले मामलों में गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय को संबंधित व्यक्ति को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार करने के लिए अधिकृत किया गया है।
बयान में कहा गया कि अयोग्य घोषित किये गये 3000 हजार से अधिक निदेशक मात्र 20 कंपनियों के हैं। प्रारंभिक जांच के मुताबिक 56 बैंकों ने बताया है कि 35 हजार कंपनियां के 58 हजार खाते हैं और इनमें नोटबंदी के बाद 1700 करोड़ रूपये की जमा और निकासी की गयी है। एक मामले के अनुसार एक कंपनी ने नोटबंदी के बाद 2484 करोड़ रुपए की जमा और निकासी की और इस कंपनी का बैंक खाता नोटबंदी से पहले ऋणात्मक था। एक अन्य मामले में एक कंपनी के 2134 बैंक खाते मिले हैं।