नीतीश सरकार ने वर्ष 2019-20 के बजट में जहां 23 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का इजाफा किया है वहीं उसने अल्पसंख्याक कल्याण के बजट को 2017-18 के आवंटन से भी 136 करोड़ रुपये का का आवंटन किया है.
वित्त मंत्री सुशील मोदी ने 12 फरवरी को वित्त वर्ष 2019-20 का बजट पेश किया. इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 23 हजार करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है. लेकिन हैरत की बात है कि इस बार के अल्पसंख्यक कल्याण के बजट को दो वर्ष पहले के आवंटन की तुलना में 136 करोड़ रुपये की कमी की गयी है.
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2017-18 में अल्पसंख्यक कल्याण का बजट 595 करोड़ रुपये का था लेकिन 2019-20 में मात्र 459 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है.
पिछले वर्ष के बजट में भी नीतीश सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण के बजट में 160 करोड़ रुपये की कमी कर दी थी. इसके बाद राजनीतिक गलियारे में काफी हंगामा हुआ था.
राजद से अलग होने काद नीतीश कुमार ने जब भाजपा के साथ सरकार गठित कर लिया तो उसका असर तबसे ही अल्पसंख्यकों के बजट पर दिखना शुरू हो गया. जहां 2016-17 में अल्पसंख्यक कल्याण पर 595 करोड़ आवंटित किये गये थे वह अगले साल घटा कर मात्र 435 करोड़ कर दिया गया.
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उस समय कांग्रेस व राजद जैसी पार्टियों ने इसका विरोध किया था. हालांकि 2018-19 की तुलना में इस बार 24 करोड़ रुपये का इजाफा तो हुआ है लेकिन यह दो वर्ष पूर्व के बजट से अब भी 136 करोड़ कम है.
कांग्रेस के विधायक व पूर्व मंत्री डा. जावेद ने नीतीश सरकार द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण के बजट के प्रति रवैये को चिंताजनक करार देते हुए कहा है कि लगता है नीतीश कुमार, भाजपा के सामने नतमस्तक हो गये हैं. अल्पसंख्यकों के कल्याण के मामले में उनकी एक नहीं चलती. अल्पसंख्यकों को उनके इस व्यवहार का हिसाब लेने का वक्त आ चका है. नीतीश कुमार से अल्पसंख्यक वोटर इसका बदला अवश्य लेंगे.
वित्त मंत्री सुशील मोदी ने बजट भाषण के दौरान इस बात को बार बार दोहराया कि 2005 में जब उनकी सरकार पहली बार आयी थी तो उसकी तुलना में बजट के आकार में आठ गुना का इजाफा हुआ है लेकिन उनकी सरकार इस बारे में एक शब्द भी नहीं बोली कि आखिर दो वर्षों में अल्पसंख्यक कल्याण के बजट में 25 प्रतिशत के करीब कटौती क्यों की गयी?