1991 बैच के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की छवि एक ईमानदार अफसर की रही है. उन्हें अपने सेवा काल में औसतन साढ़े पांच महीने से ज्यादा किसी एक पद पर शायद ही मौका मिला हो.
उन्हें सामाजाकि न्याय और सशक्तीकरण विभाग से युवा एवं खेल मामलों के विभाग में भेज दिया गया है. अपने तबादले से आहत खेमका ने बीबीसी को दिये अपनी प्रतिक्रिया में जो बातें कहीं हैं उससे उनकी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. खेमका ने कहा “एक पीड़ित का जब बार-बार बलात्कार होता है तो वो बलात्कार रूटीन कभी नहीं होता है. 80 बार भी बलात्कार होता है और 81वीं बार भी वो बलात्कार ही होता है.”
तबादले के बारे में खेमका ने अपनी ट्वीट करे भी प्रतिक्रिया दी है. खेमका ने कहा था, “बहुत योजनाएं थीं. एक और तबादले की ख़बर. एक बार फिर से क्रैश लैंडिंग. स्वार्थ निहित तत्व जीत गए. ये सब पहले देखा है. ये अस्थायी है. नई ऊर्जा के साथ फिर से काम करूंगा.”ये स्वार्थ निहित तत्व कौन है जो हर बार खेमका का तबादला करा देते हैं?
बीबीसी से खेमका कहते हैं, “हमने पुनर्वास को लेकर एक समूची योजना बनाई थी. पुनर्वास योजना पर ही मेरा मुख्य फोकस था. समाज में दस प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो या तो निशक्त हैं या किसी न किसी प्रकार के नशे से ग्रस्त हैं.”
अशोक खेमका पहली बार तब चर्चा में आये थे जब उन्होंने सोनिया गांधी के दामाद रार्ट वाड्रा की एक जमीन डील को रद्द कर दिया था. उस समय में हरियाणा और केंद्र दोनों में कांग्रेस की सरकार थी. तब भाजपा ने इस मुद्दे पर खूब बवाल काटा था. अब खेमका का जब ट्रांस्फर हुआ है तो इस समय केंद्र और हरियाणा दोनों जगह भाजपा की सरकार है.