केन्द्र सरकार ने बिहार की राजधानी पटना में ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत गंगा सफाई के लिए 1050 करोड़ रुपए की मंजूरी प्रदान की है। यह राशि पटना में दो जल मल शोधन संयंत्र स्थापित करने के साथ ही मौजूदा संयंत्रों के नवीनीकरण, दो पंपिंग स्टेशनों के निर्माण और लगभग 400 किलोमीटर नया भूमिगत सीवेज नेटवर्क बिछाने पर खर्च की जाएगी। परियोजना के तहत शहर के सैदपुर क्षेत्र में 60 एमएलडी क्षमता वाले संयंत्र स्थापित करने और 227 किलोमीटर के नए भूमिगत सीवेज नेटवर्क बिछाया जाएगा जिस पर 600 करोड़ रुपए लागत आएगी।
जल संसाधन विकास मंत्रालय की आज यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार इसके लिए यूईएम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ज्योति बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड को ठेका दिया गया है। इसी तरह से तीन अन्य कंपनियों लार्सन एंड टर्बो लिमिटेड, वोल्टास लिमिटेड और जीएए जर्मनी जेवी को शहर के बेऊर क्षेत्र में 23 एमएलडी वाले संयंत्र के निर्माण, 20 एमएलडी के मौजूदा संयंत्र के नवीनीकरण और लगभग 180 किलोमीटर का नया भूमिगत सीवेज नेटवर्क बिछाने का काम दिया गया है और इसके लिए 450 करोड़ रुपए आवंटित किए जाएंगे।
मंत्रालय का कहना है कि इन परियोजनाओं के जरिए पटना शहर की मौजूदा सीवेज व्यवस्था में सुधार लाने के साथ ही अगले एक दशक तक शहर में बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए संयंत्रों को व्यवस्थित बनाना है। इन परियोजनाओं के समयबद्ध परिचालन के बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इन क्षेत्रों से गंगा नदी में किसी भी प्रकार असंशोधित जल नहीं बहाया जाएगा और गंगा को प्रदूषित होने से बचाया जाएगा। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) निर्माण-कार्य की प्रगति की निगरानी करेगा।