बज़्मे-सदफ़ इंटरनेशनल ने वर्ष 2017 के प्रतिष्ठित लिटररी अवार्डों की घोषणा कर दी है। निदेशक प्रो. सफदर इमाम क़ादरी ने कहा है कि इस वर्ष के बज़्मे-सदफ़ इंटरनेशनल अवार्ड के लिए व्यंग्यकार श्री मुजतबा हुसैन को दिया जायेगा.
उन्होंने बताया कि युवा लेखक 2017 अवार्ड के लिए जर्मनी में रह रहीं पाकिस्तान की युवा लेखिका डॉ. इशरत मोईन सीमा का चयन किया है।
ये दोनों पुरस्कार 29-30 दिसंबर 2017 को पटना में बज्मे-सदफ़ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय उर्दू लिटरेरी महोत्सव’ में दिए जाएँगे।
बज्मे-सदफ़ अवार्ड के रूप में एक लाख रुपए (भारतीय), एक शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिह्न दिया जाएगा जबकि युवा लेखक अवार्ड के रूप में इक्यावन हजार रुपए (भारतीय), एक शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिह्न दिया जाएगा।
अवार्डों की घोषणा करते हुए प्रो. कादरी ने बताया कि इससे पूर्व वर्ष 2016 के अवार्ड कनाडा के श्री जावेद दानिश और भारत के वाहिद नजीर को दिया गया था और समूचे उर्दू जगत ने उसका स्वागत किया था। प्रो. कादरी ने यह उम्मीद जताई कि इस वर्ष के अवार्ड भी उसी अनुरूप स्वीकारे और सराहे जाएँगे।
प्रो. कादरी ने 29-30 दिसंबर 2017 को पटना में आयोजित होनेवाले अंतर्राष्ट्रीय उर्दू लिटरेरी महोत्सव के आयोजन के संबंध में बताया कि इस महोत्सव में अवार्ड वितरण के साथ-साथ सर सैयद अहमद खाँ के जन्म के दो सौवें साल के अवसर ‘सर सैयद अहमद खाँ के शैक्षिक विचार’ विषयक सेमिनार, अंतर्राष्ट्रीय मुशायरा, नाटक, परिसंवाद एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। महोत्सव में इसके साथ-साथ मकतबे-सदफ़ की ओर से प्रकाशित लगभग दर्जन भर पुस्तकों का विमोचन भी होगा।
मुजतबा हुसैन को जानिये
बज़्मे-सदफ़ इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित श्री मुजतबा हुसैन के साहित्यिक योगदान का उल्लेख करते हुए प्रो. कादरी ने बताया कि श्री हुसैन उर्दू के प्रमुख एवं चर्चित व्यंग्यकार हैं। 15 जुलाई 1936 को जन्मे श्री हुसैन ने साहित्य की विभिन्न विधाओं, जैसे-व्यंग्य, हास्य, यात्रा-वृत्तांत, रेखाचित्र आदि में लगभग दो दर्जन पुस्तकों की रचना की है। उनकी प्रमुख पुस्तकें हैंः 1. तकल्लुफ बरतरफ़ (1968), 2. क़त-ए-कलाम (1969), 3. क़िस्सा मुख़्तसर (1972), 4. बहरहाल (1974), 5. आदमीनामा (1981), 6. बिल-आख़िर (1982), 7. जापान चलो, जापान चलो (1983), 8. सो है वो भी आदमी (1987), 9. अल-ग़रज़ (1987), 10. चेहरा दर चेहरा (1994), 11. सफरे-लख़्त-लख़्त (1994), 12. आख़िरकार (1997), 13. हुए हम दोस्त जिसके (1999), 14. मेरा कॉलम (1999), 15. आप की तारीफ़ (2005), 16. कॉलम बरदाश्ता (2007), 17. मेहरबाँ कैसे-कैसे (2009), 18. अमेरिका घास काट रहा है (2009), 19. उर्दू के शहर, उर्दू के लोग (2010), 20. कॉलम में इंतख़ाब (2011)। श्री मुजतबा हुसैन को वर्ष 2007 में भारत सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान प्राप्त हो चुका है।
इशरत मोईन के बारे में
प्रो. कादरी ने डॉ. इशरत मोईन सीमा के साहित्यिक योगदान के संबंध में बताया कि डॉ. सीमा कविता, कहानी, यात्रा वृत्तांत और शोध आलोचना के क्षेत्र में बहुत तेजी से वैश्विक स्तर पर उभरनेवाली लेखिका के रूप में सम्मानित हैं। 06 जून 1967 को पाकिस्तान के कराची में उनका जन्म हुआ। उच्च शिक्षा प्राप्ति के पश्चात पिछले दो दशकों से अपनी शैक्षिक एवं अकादमिक कार्यों के लिए वे जर्मनी में रह रही हैं।
डॉ. इशरत मोईन सीमा की प्रकाशित पुस्तकों की सूची निम्नवत हैः 1. इटली की तरफ (यात्रा वृत्तांत), 2. गिरदाब और किनारे (कहानी संग्रह), 3. जंगल में क़िंदिल (काव्य संग्रह), 4. जर्मनी में उर्दू (शोध-आलोचना), 5. उर्दू साहित्य में महिलाओं का योगदान (जर्मन भाषा में/शोध), 6. टेढ़ी लकीर (इस्मत चुग़ताई के प्रसिद्ध उपन्यास का जर्मन भाषा में अनुवाद)।
सुश्री मोईन को पाकिस्तान-जर्मन फोरम (जर्मनी), उर्दू मरक़ज (यूरोप), ओरियंटल रिसर्च सेंटर (यूरोप, ब्रसेल्स), बज्मे-अदब (बर्लिन), हेमबोल्ट विश्वविद्यालय (बर्लिन) एवं पोस्डमैन विश्वविद्यालय (यूरोप) आदि संस्थानों ने उनके उर्दू साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए पुरस्कृत-सम्मानित किया है।
प्रो. सफदर इमाम कादरी ने बताया कि दिसंबर 2017 में आयोजित इस महोत्सव में ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा, कतर, बांग्लादेश, मॉरीशस आदि देशों से लेखक, आलोचक एवं शोधार्थी सम्मिलित होंगे और यह एक अविस्मरणीय आयोजन होगा।
बज्मे-सदफ इंटरनेशनल के अध्यक्ष श्री शहाबुद्दीन अहमद, सेंट्रल गवर्निंग कौंसिल के सभी सदस्यगण, इंटरनेशनल के भारतीय इकाई के सचिव डॉ. जाहिदुल हक तथा भारत, कतर, सउदी अरब, जर्मनी, कनाडा, इंगलैंड और बांग्लादेश के सभी संरक्षकगण एवं पदाधिकारियों ने पद्मश्री मुजतबा हुसैन और डॉ. इशरत मोईन सीमा को इस अवार्ड के लिए बधाई दी है एवं उर्दू साहित्य की उनकी सेवा और उपलब्धियों के लिए भूरि-भूरि प्रशंसा की है