हिंदुस्तान के पत्रका राजदेव रंजन हत्या मामले में सबीबीआई अदालत द्वारा सोनू कुमार सोनी के खिलाफ संज्ञान ले लेने के बाद अब मीडिया के एक हिस्से और भाजपा नेताओं के आरोपों की धज्जियां उड़ गयी हैं. भाजपा ने तब आरोप मढ़ा था कि सीवान जेल( शहाबुद्दीन) से हत्या की साजिश रची गयी है.
सीबीआई पहले ही इस मामले में मोहम्मद कैफ और जावेद मियां के खिलाफ 90 दिन की अवधि के अंदर चार्जशीट दाखिल करने में बूरी तरह नाकाम हो चुकी है जिसके बाद अदालत ने कैफ और जावेद को जमानत दे दी थी.
लेकिन सोमवार को अदालत ने सोनू कुमार सोनी के खिलाफ संज्ञान लेने का फैसला किया. कोर्ट ने इस बात की भी मंजूरी देदी है कि सोनू के खिलाफ अब ट्रायल चलाया जायेगा. सीबीआई ने सोनू के खिलाफ 51 गवाह और 60 प्रमाण पेश किये हैं.
गौरतलब है कि पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या सीवन में रात के अंधेरे में कर दी गयी थी. इसके बाद मीडिया के एक वर्ग और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस हत्या के तार उस समय सीवान जेल में कैद शहाबुद्दीन से जोड़ा था.भाजपा ने तो यहां तक आरोप लगाया था कि सीवान जेल के अंदर से इस हत्या की साजिश रची गयी थी. इस मुद्दे को आधार बना कर भाजपा नेता सुशील मोदी लगातार इस मामले को सीबीआई के हवाले करने की मांग उठाने लगे थे. लेकिन अब जब सीबीआई ने इस मामले की परतों को खोलना शुरू किया है तो नतीजा बिल्कुल उलटता जा रहा है. पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें सोनू कुमार सोनी के खिलाफ अदालत ने संज्ञान ले लिया है. बाकी दो आरोपी मोहम्मद कैफ और जावेद मियां के खिलाफ आरोप को अदालत ने खारिज कर दिया था.
9 सितम्बर 015 को भाजपा नेता सुशील मोदी के नेतृत्व में पटना के गर्दनीबाग धरनास्थल पर धरना दिया गया था. इस धरने में शहाबुद्दीन को पत्रकार हत्या मामले में सीसीए लगाने और जिलाबदर करने की सुशील मोदी ने की थी.
सुशील मोदी से अब पूछा जाना चाहिए कि उनकी इस मांग का आधार क्या था.