प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान बरसात और बाढ की चर्चा करते हुए कहा कि प्रकृति हमें जीवन देती है, हमें पालती है, लेकिन कभी-कभी बाढ़, भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदायें, उसका भीषण स्वरूप, बहुत विनाश कर देता है. इन दिनों मौसम का जो पूर्वानुमान उन्नत तकनीक की वजह से क़रीब-क़रीब अनुमान सही निकलते हैं. इसलिए धीरे-धीरे हम लोग भी स्वभाव बनाएं कि मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार अपने कार्यकलापों की भी रचना कर सकते हैं, तो उससे हम नुकसान से बच सकते हैं.
नौकरशाही डेस्क
उन्होंने बाढ प्रभावित इलाकों में सरकार की ओर से किए जा रहे कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि बदलते हुए मौसम-चक्र और पर्यावरण में जो बदलाव आ रहा है, उसका बड़ा ही नकारात्मक असर भी हो रहा है. पिछले कुछ दिनों से भारत के कुछ हिस्सों में विशेषकर असम, पूर्वोत्तर, गुजरात, राजस्थान, बंगाल के कुछ हिस्से, अति-वर्षा के कारण प्राकृतिक आपदा झेलनी पड़ी है.
पीएम के अनुसार, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की पूरी मॉनेटरिंग हो रही है. व्यापक स्तर पर राहत कार्य किए जा रहे हैं. इससे निपटने के लिए राज्य सरकार और केंद्र भरसक प्रयास कर रही हैं. सेना के जवान हों, वायु सेना के लोग हों, एनडीआरएफ के लोग हों, पारा मिलिट्री फोर्सेस हों, हर कोई ऐसे समय आपदा पीड़ितों की सेवा करने में जी-जान से जुड़ जाते हैं.
उन्होंने कहा कि बाढ़ से जन-जीवन काफी अस्त-व्यस्त हो जाता है. फसलों, पशुधन, विनिर्माण, सड़क, बिजली, संचार माध्यम सब कुछ प्रभावित हो जाता है. खास कर के हमारे किसान भाइयों को, फ़सलों को, खेतों को जो नुकसान होता है, तो इन दिनों तो हमने बीमा कंपनियों को और विशेष करके क्रॉप इंश्योरेंस कंपनियों को भी प्रोटेक्टिव होने के लिये योजना बनाई है. इसके अलावा बाढ़ की परिस्थिति को निपटने के लिये 24×7 control room helpline number 1078 लगातार काम कर रहा है. वहीं,प्रधानमंत्री ने जीएसटी, देश की अर्थ व्यवस्था, मीडिया और खेलों में महिलाओं के उपस्थित जैसे कई अन्य मुद्दों पर भी अपनी बात रखी.