पूण्यतिथि पर याद किये गए महान शेर शाह सूरी
पटना । 22 मई , आज हमनवा संस्था के तत्वधान में तथा संस्था के संयोजक शहज़ाद आलम की अध्यक्षता में भारत के महान सपूत शेरशाह सूरी की 477 वीं पुण्यतिथि पर “शेर शाह सूरी को याद किया जाना ज़रूरी” के शीर्षक अंतर्गत परिचर्चा में ना केवल श्रद्धा के सुमन अर्पण किए गए बल्कि 5 वर्षों के शासन काल में देश की विभिन्न दिशाओं में हज़ारों हज़ार किलो मीटर की सड़कों का निर्माण इसकी दोनों ओर वृक्षारोपण, मुसाफ़िरों की सुरक्षा की भरपूर व्यवस्था, सराय के रूप में आम जनमानस के ठहरने एवं खानपान की व्यवस्था के अतिरिक्त संचार के लिए पोस्टल सिस्टम चालू करना, जमीन की नापी एवं जमीन के प्रकार का पता करना, औकाफ की संपत्ति को आम जनता के लिए सुरक्षित करना, रियाया के साथ पूरा पूरा न्याय की व्यवस्था करना गैर मुस्लिम आबादी के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सभी प्रकार के निर्माण कार्यों का अवलोकन के साथ-साथ उनका गहराई और बारीकी के साथ अनुश्रवण करना एवं कर्मियों के दरमियान वेतन आदि का भुगतान अपने सामने कराना ताके भ्रष्टाचार के पनपने की कोई गुंजाइश बाकी न रह जाए।
परिचर्चा का शुभारंभ सम्मलित रुप से शमा रौशनकरके तथा वरिष्ठ इतिहासकार एवं पूर्व निदेशक खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी पटना के प्रोफेसर इम्तियाज अहमद के मुख वाचन से हुआ। इन्होने इतिहास की कसोटी के परिप्रेक्ष्य में शेर शाह को एक महान व्यक्तित्व बताया।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) बिहार इकाई के महासचिव गज़नफर नवाब ने बताया कि शेरशाह सूरी एक ऐसा शासक हुआ जो मजदूरी करते हुए ना केवल शासन की गद्दी तक पहुंचा बल्कि केवल पांच वर्षों में शानदार विकास कार्यों के साथ साथ बेमिसाल शासन व्यवस्था स्थापित करने का इतिहास रचा। इन्होंने तमाम मजदूरी और मेहनत कशों को शेर शाह से प्रेरणा लेने और हरावल दस्ता बनने की रणनीति पर विचार करने की सलाह दी।
परिचर्चा के मुख्य अतिथि और जनता के हरदिल अज़ीज़ माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने बताया के शेरशाह खूबियों का वह पैकर थे जिसकी बहुत कम मिसाल मिलती है लेकिन इनके शानदार कारनामे के हिसाब से इनको वह इज्जत और वह मर्तबा नहीं मिल सका जिसके वह हकदार थे इन्होंने इस बात की घोषणा की कि प्रस्तावना के रुप मे मैदान के सवाल को ऐवान तक ना केवल लें जाएंगे बल्कि इसको कार्यीनवित करने के लिए संघर्षरत रहेंगे।
इतिहास के डाक्टर एवं वामपंथी चिंतक डा० प्रवेज कुमार ने शेर शाह सूरी को देश का एक महान प्रेरणा स्रोत बताया ।
इस एतिहासिक मौके पर बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के उपाध्यक्ष अनीश अंकुर ने बताया के शेरशाह ने जो कारनामा और विकास की गंगा बहाई है उसको दृष्टिगत रखते हुए उनके लिए विकास पुत्र शब्द छोटा लगता है उन्हें विकास पितामा कहा जाना चाहिए । श्री अंकुर ने आयोजकों को इस सार्थक पहल के लिए बधाई देते हुए इस प्रकार के कार्यक्रम को चलाते रहने की अपेक्षा की।
कांग्रेस मेडिकल सेल के अध्यक्ष डा० हसनैन ने परिचर्चा कार्यक्रम मे प्रस्तुत प्रस्तावना का पुर जोर समर्थन करते हुए कहा कि देश एवं प्रदेश के सार्थक विकास के लिए शेर शाह सूरी के पद चिन्ह पर चलना जरूरी है।
इस अवसर पर एक एतिहासिक प्रस्तावना प्रस्तुत किया गया जिसमें शेर शाह के नाम से विकास शोध संस्थान स्थापित करने की मांग की गई।तालियों गड़गड़ाहट और गगन भेदी नारे के साथ इसका समर्थन किया गया।
मोo मोअज़्ज़म आरिफ- शिक्षक- राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय सकरी गली, गुलजारबाग, पटना ने अपने वक्तव्य में बताया कि 5 वर्षों में चौमुखी विकास किए जाने के कारण इन्हें विकास पुत्र नहीं बल्कि विकास पितामह कहना उचित होगा। दुर्भाग्यवश एक घटना में यदि इनकी असमय मृत्यु नहीं होती तो यह अकबर एवं सिकंदर से महान शासक होते हैं।
गुलाम सरवर आजाद ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया जबकि संस्था के वरिष्ठ सदस्य अशफाक खान ने आए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना हमारा मकसद नहीं
हमारी कोशिश है कि कुछ सूरत बदलनी चाहिए
के प्रेरणा दायक समूह गान के साथ कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई।