इन दिनों राजधानी पटना समेत अनेक जिलों में बड़े पैमाने पर उर्दू में एक पोस्टर लगाया गया है जिसमें लिखा है ‘लालू ने दिया मुसलमानों को धोखा’. इन पोस्टरों पर मुस्लिम इलाकों में खूब चर्चा भी चल रही है.
नौकरशाही डेस्क
उर्दू में लिखे इन पोस्टरों को विशेष कर उन इलाकों के चौक-चौराहों और हार्डिंग के आसपास लगाया गया है जहां मुसलमानों की आबादी है.
इस पोस्टर में आगामी 7 जुलाई को होने वाले विधानपरिषद चुनाव का उल्लेख करते हुए कहा गया है क लालू प्रसाद ने अपने दस में से एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं बनाया है. पोस्टर में यह भी लिखा है कि झारखंड के 26 सीटों में एक भी मुसलमान नहीं.इस पोस्टर में आगे लिखा गया है कि लालू प्रसाद यादव ने इस तरह का धोखा बार-बार मुसलमानों को दिया है. पोस्टर में मुसलमानों से सवाल किया गया है कि वे सोचें कि ऐसे में वे लालू प्रसाद के साथ रहेंगे या अपने नेतृत्व के साथ?
पोस्टर में खबरदार करते हुए मुसलमानों को बताया गया है कि याद रखिए अगर हमने अपने नेताओं को मजबूत नहीं किया तो इसी तरह ये राजनीतिक दल हमारा शोषण करते रहेंगे. पोस्टर की अंतिम लाइन में साफ लिखा गया है कि अगर मुसलमानों ने अब भी नहीं चेता तो लालू प्रसाद जैसे लोग सेक्युलरिज्म के नाम पर उनका शोषण करते रहेंगे और अपनी जाति को फायदा पहुंचाते रहेंगे.
खूब चर्चा
गौरतलब है कि 7 जुलाई को बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव हो रहा है. इस के लिए जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल ने दस-दस सीटों पर मिल कर चुना लड़ रहे हैं जबकि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने बाकी चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
जनता दल राष्ट्रवादी के प्रमुख नेता अशफाक रहमान का कहना है कि राष्ट्रीय जनता दल पिछले दो दशक से मुसलमानों से सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत हासलि करती रही है लेकिन वह मुसलमानों को ही अपने राजनीतिक शोषण का शिकार बनाती रही है.
जहां एक तरफ जनता दल ने दस में से तीन सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया है वहीं राष्ट्रीय जनता दल ने अपे कोटे की दस में से एक सीट पर भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा है.
इस विषय पर जनता दल राष्ट्रवादी के प्रमुख नेता अशफाक रहमान का कहना है कि राष्ट्रीय जनता दल पिछले दो दशक से मुसलमानों से सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत हासलि करती रही है लेकिन वह मुसलमानों को ही अपने राजनीतिक शोषण का शिकार बनाती रही है.
अशफाक रहमान का कहना है कि इस बार के विधान परिषद चुनाव में दस में से एक भी मुसलमान को प्रत्याशी नहीं बनाना इस बात का प्रमाण है. उन्होंने कहा है कि ऐसे में मुसलमानों को अपना नेतृत्व सामने लाना होगा ताकि राजनीतिक पार्टियां मुसलमानों को धोखा न दे सकें.
इस पोस्टर पर मुसमानों में काफी बहस चल रही है. फुलवारी शरीफर के अनीसा बाद चौराहे पर लगे इस पोस्टर के बारे में एक युवक सादिक अहमद कहते हैं कि लालू प्रसदा सिर्फ मुसलमानों का वोट लेना जानते हैं लेकिन राजनितक नुमाइंदगी देने की बात आती है तो उन्हें मुसलमान याद नहीं रहते.
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