सामाजिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों को मुख्य धारा में लाने के लिए तेलंगाना सरकार उन्हें 12 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव ने कहा कि आगामी बजट अधिवेशन में बिल पास कर दिया जायेगा.
हैदराबाद से जीशान की रिपोर्ट
बीजेपी सांसद जी. कृष्णा रेड्डी के द्वारा 12 प्रतिशत अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिए जाने के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार यह आरक्षण अल्पसंख्यको को सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के आधार पर दे रही है न की धार्मिक आधार पर.
मुख्यमंत्री ने कहा की वर्षों से सामाजिक रूप से पिछड़े इस समूह को आरक्षण देना वक़्त की जरुरत है ताकि वो समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें. साथ ही उन्होंने आगे कहा की वह केंद्र सरकार को मुस्लिम आरक्षण को अनुसूची- 9 में शामिल किये जाने की गुहार लगायेंगे. इससे सिलसिले में तेलंगाना सरकार का एक प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री से मुलाकात भी करेगा.
सुधीर कमेटी का सुझाव
गौरतलब है कि तेलंगाना प्रदेश में अल्पसंख्यकों की आबादी 14 प्रतिशत से ज्यादा है. वर्ष 2014 में आंध्रप्रदेश से अलग राज्य बनने के बाद नवनिर्वाचित चंद्रशेखर राव ने अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने की बात कही थी जिसके लिए प्रदेश सरकार ने सुधीर कमिटी का भी गठन किया था. कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में अल्पसंख्यकों की हालात बदतर बताई थी और अल्पसंख्यकों को 12 प्रतिशत आरक्षण देने का का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को पेश किया था.
बता दें तेलंगाना सरकार अल्पसंख्यकों पर खर्च होने वाली वार्षिक बजट 586 करोड़ को बढ़ा कर लगभग 1500 करोड़ करने जा रही है, साथ ही, 200 आवासीय विद्यालय, जिनमें 100 खासतौर से लड़कियो के लिए, मस्जिद के ईमाम और मुआज्ज़िम को 15 सौ रूपये मासिक मानदेय और 21 करोड़ रूपये मुस्लिम अनाथालय बनाने के लिए दिए जाने का प्रस्ताव है.