वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर बता रहे हैं कि कई सालों के बाद बिहार से राज्य सभा में इस बार ऐसे लोगों को भेजा जा रहा है जो सदन की मर्यादा और बिहार की छवि को साकारात्मक बनायेंगे.
जनता दल (एकी) और भाजपा ने इस बार बिहार से शालीन और बौद्धिक छवि के लोगों को राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। इस द्विवार्षिक चुनाव के लिए जिन लोगों का चयन किया गया है, उनसे बारी से पहले बोलने की कोशिश करने की उम्मीद कतई नहीं है। इन लोगों से इस बात की भी उम्मीद नहीं है कि वे सदन की कार्यवाही में बाधा डालेंगे। याद रहे कि पिछले दो दशक से लोकसभा और राज्यसभा के सत्र शोरगुल, हंगामे, नारेबाजी, अभद्रता और इस तरह के अन्य गैर संसदीय आचरण की वजह से चर्चित रहे हैं।
सदन की बैठकों को किसी न किसी उचित-अनुचित बहानों से बाधित करने में वैसे तो करीब सभी राज्यों के कुछ सदस्यों का योगदान रहा है। लेकिन ऐसे काम में बिहार के कुछ सदस्यों की अपेक्षाकृत कुछ अधिक ही विवादास्पद भूमिका रही है। इससे बिहार की छवि खराब भी होती रही है। पिछली लोकसभा में बिहार की एक महिला सांसद ने सदन में ही यह कहकर सबको चौंका दिया था,‘मैं तो शांतिपूर्वक सदन की कार्यवाही में भाग लेना चाहती हूं। लेकिन हमारे दल के नेता हमें हंगामा करने के लिए कहते हैं। ऐसे में मैं क्या करूं, कुछ समझ में नहीं आता।’
सीपी ठाकुर चिकित्सक
इस पृष्ठभूमि में यह महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि कोई राजनीतिक दल ऐसे लोगों को देश के सर्वोच्च सदन में भेजे जो अपनी शालीनता और बौद्धिक क्षमता से सदन की उस गरिमा को कायम रखें जिसकी उम्मीद संविधान निर्माताओं ने की थी। आजादी के तत्काल बाद के सालों में राज्यसभा में आमतौर पर गरिमामय व्यक्तित्व वाले बौद्धिक लोगों को ही भेजा जाता था। लेकिन बाद के सालों में कई कारणों से इस परंपरा को कायम नहीं रखा जा सका। हाल के सालों में बिहार सहित कुछ अन्य राज्यों से कुछ ऐसे लोग राज्यसभा गए जो अपने गैर संसदीय आचरण के लिए अधिक चर्चित रहे।
वहीं दूसरी ओर बिहार के नए उम्मीदवारी में उस परंपरा की हल्की झलक मिलती है जो आजादी के तत्काल बाद शुरू की गई थी। भाजपा ने डॉक्टर सीपी ठाकुर और आरके सिन्हा और जद (एकी) ने हरिवंश, रामनाथ ठाकुर और कहकशां परबीन को राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। अगर जरूरत पड़ी तो सात फरवरी को मतदान कराया जाएगा। जद (एकी) और भाजपा के विधानसभा में सदस्यों की संख्या को देखते हुए इनकी जीत पक्की मानी जा रही है।
डॉक्टर सीपी ठाकुर एक प्रतिष्ठित चिकित्सक हैं। वे केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं। वे अपने शालीन व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। उन्हें कभी सदन में शोरगुल करते नहीं देखा गया। भाजपा के दूसरे उम्मीदवार आरके सिन्हा सत्तर के दशक में बिहार के चर्चित पत्रकार थे। वे भी शालीन स्वभाव के नेता हैं। जद (एकी) के उम्मीदवार हरिवंश तो पूर्णकालीक पत्रकार रहे हैं। वे अच्छे वक्ता भी हैं और बिहार-झारखंड के पिछड़ेपन के सवाल को मजबूती से उठाते रहे हैं।
शालीन रामनाथ< बिहार के पूर्व मंत्री रामनाथ ठाकुर चर्चित, ईमानदार और शालीन नेता दिवंगत कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं। पूरी तो नहीं। लेकिन कर्पूरी ठाकुर की कुछ-कुछ छाप उन पर जरूर है। कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन काल में अपने किसी परिजन को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया। लेकिन उनके निधन के बाद पहले लालू प्रसाद और बाद में नीतीश कुमार ने रामनाथ ठाकुर को समय-समय पर उचित सम्मान दिया। जद (एकी) के अध्यक्ष शरद यादव के मन में भी कर्पूरी ठाकुर के लिए विशेष श्रद्धा भाव है। पटना में 24 जनवरी को कर्पूरी जयंती के अवसर पर जब शरद यादव ने राज्यसभा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की तो वहां मौजूद रामनाथ ठाकुर की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। भर्राए गले से उन्होंने मीडिया से कहा,‘इसके बारे में मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था।’ याद रहे कि रामनाथ ठाकुर ने इस उम्मीदवारी के लिए न तो कोशिश की थी और न इतनी बड़ी जगह मिलने की उन्हें उम्मीद थी। लेकिन नीतीश कुमार ऐसे मामलों में कई बार लोगों को अंतिम समय में चकित करते रहे हैं। वहीं कहकशां परबीन बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष हैं। वो भागलपुर नगर निगम की मेयर रह चुकी हैं। बिहार से राज्यसभा की पांच सीटों पर चुनाव होना है। राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा में जद (एकी) और भाजपा के कुल 206 सदस्य हैं। सबसे बड़े विपक्षी दल राजद के सदस्यों की संख्या केवल 22 है। यानी की जद (एकी) और भाजपा को छोड़कर कोई और दल अपना एक उम्मीदवार राज्यसभा चुनाव में नहीं जिता सकता है। साभार जनसत्ता