नौकरी दिलाने के नाम पर आम जन से ठगी के किस्से तो आप बहुत सुनते हैं पर इस अनोखी ठगी का शिकार कोई आदमी नहीं बल्कि खुद बिहार सरकार हो गयी है, वह भी लाख-दो लाख नहीं पूरे 75 लाख.
बक्सर में पथ निर्माण बिभाग के सड़को के टेंडर में फर्जीवाड़े का मामला उजागर होने के बाद विभागीय अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। ऐसा होना भी लाज़िमी है क्योंकि विभाग ने करोड़ों का टेंडर बिना सत्यापन किये वैसे ठेकेदार को दे दिया जिसने काम करना तो दूर टेंडर के लिए फर्जी बैंक गारंटी का इस्तेमाल कर विभाग के 75 लाख रुपये भी ठग लिए।
मामला सामने आने के बाद महकमे की ओर से संवेदक पर एफआईआर दर्ज करायी गयी और इसी के साथ सड़को का काम भी ठप पड़ गया है। बताते चले की सड़को के मेनटेनेंस की नयी पालिसी के अनुसार शशि गैल्वेनाइजेशन प्राइवेट लिमिटेड को पथ निर्माण विभाग की 110 किलोमीटर लम्बी सड़कों का अगले पांच सालो के लिए मेनटेनेंस का काम मिला था। जिसमे कई सड़के शामिल है। पथ निर्माण विभाग की इन सड़को के लिए 26 लाख रुपये का टेन्डर हुआ था।
निर्माण एजेंसी के प्रोपराइटर सुरेन्दर नारायण सिंह ने जो बैंक गारंटी जमा करायी थी वो पटना के बैंक ऑफ़ बड़ौदा की एक्सवीशन रोड शाखा में जांच के दौरान फर्जी पाया गया। इसकी सूचना मिलते ही अधिकारियों के होश उड़ गए। और आनन फानन में पुलिस में रिपोर्ट की। फ़िलहाल बक्सर पुलिस मामले की जाँच में जुटी है।
इधर बिभाग के अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नही है। पूछे जाने पर बिभागीय मामला बता अपना पल्ला झाड़ते नजर आये। टेंडर में इस लापरवाही बरते जाने के बाद बिभागीय अधिकारियो पर भी सवाल उठने लगे है। पहले से ही जिले की सड़को की हालत खराब है ऐसे में अब मेनटेनेंस का काम रुक जाने के बाद सड़कों की हालत का क्या होगा यह एक बड़ा सवाल है। सड़कों के मेनटेनेंस के काम में लापरवाही पर बक्सर बीजेपी बिधायिका सुखदा पण्डेय ने सरकार की कार्य नीतियों पर ही सवाल खड़ा किया है। उनकी माने तो जबसे भाजपा जदयू से अलग हुयी है तब से विकाश कार्यो पर विराम लग गया है और सड़को की हालत लगातार ख़राब हो रही है।
ऐसा नही की सड़को की खस्ता हाल की जानकारी बिभाग या स्थानीय प्रसाशन को नही है। खुद बक्सर विधायिका इस सन्दर्भ में जिलाधिकारी से मिल चुकी हैं और मामले की शिकायत की हैं पर नतीजा जस का तस बना हुआ है।
बक्सर राजद के जिला अध्य्छ शेस नाथ सिंह यादव ने मांग करते हुये ठेकेदार के साथ विभागीय पदाधिकरियों पर भी नामजद प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है.
सड़क टेंडर फर्जीवाड़ा मामले में विभागीय लापरवाही भी दिख रही है। वैसे अब यह मामला जाँच के पेंच में उलझ गया है और समस्याएं जस की तस बनी हुयी है ऐसे में शहर की सड़को का कायाकल्प कब होगा ये किसी को भी पता नही है।