जब राजनीतिक दल आम लोगों के मुद्दों पर प्रतियोगिता में उतरने लगें तो समझ लीजिए की समाज सही सिम्त में बढ़ रहा है. बिहार के मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ दूसरी मुहिम का आगाज कर दिया है
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ अपनी दूसरी मुहिम का आगाज भले ही राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के नतीजे में किया है, फिर भी यह स्वागत योग्य कदम है.
देश भर में आम आदमी पार्टी द्वारा भ्रष्टाचार के मुद्दे को मुख्य राष्ट्रीय मुद्दा बनाने और इस पर जनता के व्यापक समर्थन से राजनीतिक दलों की संवेदनशीलता बढ़ी है.
हालांकि मुख्यमत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के खलाफ कई सालों से धावा बोलते रहे हैं पर उनकी यह मुहिम चलती रुकती रही है. लेकिन बुधवार को उन्होंने इस मुद्दे को जितनी गंभीरता से लिया उससे तय है कि इसके बड़े नतीजे सामने आयेंगे.
अब इस बात का रास्ता साफ हो गया है कि भ्रष्टाचार के मामले में पकड़े गए 880 सरकारी सेवक दो माह के भीतर बर्खास्त होंगे. कार्रवाई के मामले में डीएम को तत्काल निलंबन और स्थानांतरण का अधिकार होगा.
इसी प्रकार निगरानी ब्युरो को सरकार ने और सशक्त बनाने की दिशा में कार्रवाई करते हुए इसे सीबीआइ की तरह मजबूत बनाने की घोषणा करके जता दिया है कि अब सरकार कुछ करना चाहती है. इसके तहत जिला स्तर पर निगरानी इकाई गठित होगी.
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग को और तेज करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विभागीय सचिवों की मौजूदगी में जिलों के डीएम-एसपी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की और कह डाला कि दो महीने में हमें रिजल्ट चाहिए.
बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार ने बेशक कई सालों से मुहिम चला रखी है. पर यह मुहिम समय समय पर ठंड पड़ जाती है. इसे गति देने की अगर नीतीश कुमार ने ठानी है तो यह स्वागतयोग्य है.