खबर है कि बिहार कि भ्रष्टाचार में घिरे छह रिटार्यड आईएएस अधिकारी- सीके बसु, अशोक कुमार सिंह एसएसवर्मा, महेश्वर पात्र, राधेश्याम बिहारी सिंह व सुबोध कुमार ठाकुर का पेंशन रोका जा सकता हैupsc

प्रभात खबर की रिपोट के अनुसार भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत यह कार्रवाई की जा रही है.

बिहार कैडर के आधे दर्जन रिटायर्ड आइएएस अधिकारियों की पेंशन जब्त करने का आदेश कभी भी जारी हो सकता है. इन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच अंतिम चरण में है. इसके बाद संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से सहमति लेकर सरकार निर्णय ले लेगी. ऐसा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरे टॉलरेंस की नीति के तहत लिये गये नीतिगत फैसले के कारण होगा. सरकार ने अप्रैल तक 300 भ्रष्ट लोक सेवकों को सेवा से बरखास्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन मार्च समाप्त होने के पहले ही 250 लोकसेवकों को सेवा से बरखास्त किया जा चुका है.

आरोप


सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिन रिटायर्ड आइएएस अधिकारियों की पेंशन जब्त होगी. उनमें सीके बसु, अशोक कुमार सिंह एसएसवर्मा, महेश्वर पात्र, राधेश्याम बिहारी सिंह व सुबोध कुमार ठाकुर हैं. सीके बसु पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के कार्यकाल में वित्तीय अनियमितता व दवा खरीदारी में गड़बड़ी व एसएस वर्मा पर आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने का आरोप है. सरकार ने कोर्ट के फैसले पर उनकी संपत्ति जब्त कर ली है. सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले तक वह निलंबित थे, लेकिन अखिल भारतीय सेवा नियमावली के तहत उन्हें रिटायरमेंट के दिन निलंबन से मुक्त किया गया था.

राज्य विभाजन के बाद बिहार से झारखंड कैडर गये अशोक कुमार सिंह पर बिहार राज्य वित्तीय निगम(बीएसएफसी) व बिहार राज्य साख विनियोग निगम लिमिटेड(बिसिको) के एमडी के कार्यकाल में मनचाहे ढंग से औद्योगिक इकाइयों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का आरोप है. यही आरोप महेश्वर पात्र पर भी है. राधेश्याम बिहारी सिंह पर किशनगंज डीएम के पद पर रहते हुए एक निजी व्यावसायिक घराने को चाय बगान की जमीन के लीज आवंटन में सहयोग करने का आरोप है. सुबोध कुमार ठाकुर पर अभियोजन स्वीकृति के लिए मामला कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रलय को भेजा गया है.

लंबित मामलों का निबटारा

पटना. मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा के अनुसार भ्रष्टाचार के जितने भी लंबित मामले हैं. उन्हें अभियान चला कर निबटाया जायेगा. भ्रष्टाचार के आरोपित अधिकारी चाहे अखिल भारतीय सेवा के हो या राज्य सेवा के. अगर वे सेवा में हैं, तो उनके खिलाफ चल रही विभागीय जांच को समाप्त कर सेवा से बरखास्त किया जायेगा. अगर वे रिटायर हो गये हैं, तो उनक ी पेंशन की शत- प्रतिशत राशि जब्त की जायेगी. इसके अलावा रंगे हाथ घूस लेते पकड़े जाने वाले लोक सेवक को जेल जाने के बाद निलंबित किया जाता है. अगर वह जमानत पर बाहर आते हैं,तो निर्णय होने तक उन्हें निलंबित रखा जायेगा. इसका मकसद सरकार के पैसे से सरकार के खिलाफ मुकदमा लड़ने की परिपाटी को समाप्त करना है.अगर कोई भ्रष्ट लोक सेवक को विभागीय जांच में सहयोग करता है तो वह भी उतना ही दोषी है जितना भ्रष्ट लोक सेवक.

ये हैं आरोपित आइएएस अधिकारी

सीके बसु (1965 बैच)

सेवानिवृत्त : केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के तहत दिल्ली से.

कब से कब तक रहे : 1 अगस्त 1996 से 1 दिसंबर 1996 तक.

आरोप : स्वास्थ्य विभाग में आयुक्त सह सचिव रहते हुए वित्तीय अनियमितता व दवा खरीदारी में अनियमितता

एसएस वर्मा (1981 बैच)

सेवानिवृत्त : पटना से

आरोप : आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने का आरोप

राधेश्याम बिहारी सिंह

(1988 बैच)

सेवानिवृत्त : पटना से

कब से कब तक रहे : 1 जून, 1998 से एक नवंबर, 1999 तक

आरोप : चाय बगान की जमीन का नियम के विरुद्ध आवंटन का आरोप

सुबोध कुमार ठाकुर (प्रमोटेड)

सेवानिवृत्त : रांची से.

अशोक कुमार सिंह (1977 बैच)

सेवानिवृत्त : रांची से

कब से कब तक रहे : 1 मई, 1994 से एक जून 1998.

आरोप : वित्त निगम के एमडी रहते नियम के विरुद्ध गलत तरीके से राशि आवंटित करने का आरोप

महेश्वर पात्र (1983 बैच)

सेवानिवृत्त : रांची से.

साभार प्रभात खबर

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