ये तस्वीर ग़ौर से देखें.क्या यह किसी दिसम्बर की सर्द और कपकपाती सुबह है? आप ऐसा सोच रहे हैं तो ठहरिए. यह एक मई 2013 की झुलसाने वाली गर्मी की सुबह का नजारा है.
पटना की यह सुबह मौसम के चकित कर देने वाले बदलाव की झांकी है. मई महीना, जो कि तपिश वाली हवा के थपेड़ों से चेहरे झुलसाने के लिए विख्यात हैं, ऐसा मौसमी बदलाव लोगों को हैरान करने वाला हैं. गंगा के किनारे सुबह की सैर पर निकले बुजुर्ग इस बदलाव को अपने-अपने ढंग से परिभाषित कर रहे थे.
एक बुजर्ग ने कहा- “पिछले तीन दिनों से ऐसे बदलाव की झांकी दिख रही थी, पर आज तो हद हो गयी. 74 साल की उम्र हो गयी मैंने मई की कोई सुबह ऐसी नहीं देखी थी”. वह बुजुर्ग अभी अपनी बातें कह भी नहीं पाये थे कि धुंध और कुहासों का उमड़ता धुंआ उनके सर के ऊपर से गुजरा, ठीक ऐसे ही जैसे दिसम्बर और जनवरी की सर्द सुबहों में होती है.
एक दूसरे बुजुर्ग ने कहा यह बदलाव इंसानों की करतूत का परिणाम है.हमने पर्यावरण को जिस तरह से प्रभावित किया है, उसे तहस-नहस किया है, अब प्रकृति भी हमसे बदला लेने पर आमदा है.
पिछले तीन दिनों से यानी 28 अप्रैल से ही पटना के पूर्वी क्षेत्र के गंगा नदी से लगे इलाके में सुबह के ऐसे ही नजारे देखने को मिल रहे हैं. हवाओं में सर्दी तो नहीं है पर हलके ठंड का एहसास है. पर एक-दो घंटे के बाद यानी सुबह के आठ बजने के बाद सारी चीजें सामान्य हो जा रही हैं. गर्मी की शिद्दत बढ़ जा रही है और तब लगने लग रहा है कि हम मई की गर्मी से रू-ब-रू हैं.
खबर लिखे जाने तक मौसम विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क नहीं हो सका है. पर यह निश्चित है कि मौसम का यह बदलाव बहस तलब तो है ही.
प्रिये पाठकों क्या आपने ऐसे बदलाव यानी गर्मियों की किसी सुबह में धुंध और कुहासों के बादल देखें हैं? हमें ऐसे बदलावों पर अपनी राय जरूर दें.