पटना के गांधी मैदान में राजद, जदयू और कांग्रेस के तत्वावधान में आयोजित महारैली में भीड़ की संख्या पर बहस हो सकती है। दावा-प्रतिदावा हो सकता है। लेकिन गांधी मैदान और पटना शहर में पहुंची भीड़ की अपेक्षाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। रैली में झकास कुर्ता-पैजामा और चमकदार जूतों वाली की संख्या काफी कम दिख रही थी।
नौकरशाही ब्यूरो
रैली में राजनीतिक संकल्प पढ़ते हुए जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने गठबंधन को ‘मठबंधन’ पढ़ दिया। हालांकि बाद में उन्होंने सुधार कर लिया। लेकिन रैली के स्वरूप को देखकर इसे मठबंधन कहना भी अनुचित नहीं होगा। महागठबंधन तीन अलग-अलग मठों का कुनबा ही है, जिसके वैचारिक और सामाजिक आधार में जबरदस्त अंतर्विरोध भी है। खैर लालू यादव ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि नीतीश के मन में धुक-धुक नहीं होना चाहिए, हमने नेता मान लिया तो मान लिया।
मंच से सोनिया गांधी, नीतीश कुमार, शरद यादव के बाद सबसे अंत में लालू यादव ने अपनी बात रखी। इन चारों नेताओं के भाषण में स्वाभिमान से ज्यादा जोर जंगलराज पर ही रहा। इस दौरान नीतीश ने सफाई दी कि लालू जी ने कभी गलत आदमी के पक्ष में काम करने का दबाव नहीं डाला। नीतीश ने लालू के नाम पर भाजपा द्वारा किये जाने वाले भयादोहन पर भी हमला किया। इसके साथ ही भाजपा शासित राज्यों में घटित अपराधों के आंकड़े गिनाए।
लालू के टारगेट थे यादव
यादव वोटों में भाजपा की सेंधमारी से सचेत लालू यादव ने यदुवंशियों का खास ख्याल रखा। उन्होंने जनता से ज्यादा यादवों से अपील की। दलितों व पिछड़ों को यादव से जोड़े रखने का भरोसा भी दिलाया। शरद यादव ने कहा कि हम पिछड़ों की लड़ाई का लाभ उठाकर भाजपा आगे बढ़ गयी। अब उससे सचेत रहने की जरूरत है।
(तस्वीर: फोटो जर्नलिस्ट संजय कुमार)