मोदी और नीतीश कुमार की मुलाकात कभी उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के मिलन जैसी थी. पर राजनीतिक हालात ऐसे पलटे कि क्या कहने. वे मिले और बातें की. क्या हुई बातें पढ़ें. पर नोट करें कि यह बातचीत काल्पनिक है.
इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन
मोदी- का नीतीश भाई, एक दिन आप का हाथ मैंने उठा के लहरा क्या दिया था कि आप पूरी दुनिया को सर पर उठा दिये थे. ऐसे जैसे मैं अछूत हूं.
नीतीश– नरेंद्र भाई.. आप भी न बीती बातों को ऐसे पकड़ते हैं.
मोदी– ना ना नीतीश भाई, हम ऐसे नहीं हैं. हम बीती बातों को नहीं पकड़ते. बस याद दिला दिया.
नीतीश– राजनीति में कई घटनायें ऐसी होती हैं जिसे भूल ही जाना चाहिए. आपके प्रति मेरा रवैया तत्कालीन हालात को लेकर था. अब तो आप ही बॉस हैं. मैं स्वीकार करता हूं. वैसे मेरी इच्छा थी कि मैं ही पीएम बनता सो गड़बड़ा गया. अब मुझे शर्मिंदगी भी है. पर जरा सोचिए कि अगर आप की जगह मैं होता और आपने मेरे संग ऐसा किया होता तो क्या मैं भी आप की तरह बीती बातों को भूल के आपको गले नहीं लगा लेता?
मोदी– हां भाई. आप ठीक कह रहे हैं. मैंने भी आपके प्रति कुछ कड़वी बातें कही थी.. जैसे कि मैंने आपको हिमालय की तरह घमंड वाला इंसान कहा था. मुझे भी ऐसा नहीं कहना चाहिए था.
नीतीश-यही तो आपका बड़प्पन है. मैंने भी तो आपको अहंकारी कह दिया था.
मोदी– चलिए कोई बात नहीं. आप हमारे घर आये हैं तो हिंदू संस्कृति का पालन करते हुए हम आपका सम्मान करते हैं. हम अपने दरवाजे पर आये मेहमान का आंचल भरने को तैयार हैं.
नीतीश– यही सोच कर तो आया हूं. आपके विचार काफी महान हैं नरेंद्र भाई.
मोदी– हा हा हाहाहाहाहा
नीतीश– ही हीहीहीहीह
मोदी- और बताइए. कैसा चल रहा है.
नीतीश सब ठीक ठाक है. जरा लालू जी के दबाव में हूं आज कल.
मोदी– अरे यह क्या बोल रहे हैं. जब जब उनका दबाव आयेगा. हमारे नाम का सहारा ले लीजिएगा. बस यही काफी है
नीतीश– हां इतना तो घिड़की मुझे भी आती है.
मोदी– देखिए हम आपके और आपके राज्य के विकास के लिए तैयार हैं. पर…
नीतीश– पर… क्या
मोदी– यह कि, आगामी असेम्बली चुनाव में क्या इरादा है
नीतीश– हां मैं आपकी बात पूरी तरह समझ रहा हूं… उस पर बात करने के लिए यह जगह उचित नहीं है. चलिए न अंदर के कमरे में चलते हैं.
मोदी– हा हाहाहा. जरूर. आइए अंदर चलते हैं.
अब दोनों नेता अंदर चले जाते हैं…..
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