मुजफ्फरपुर के सरैया में हुए हिंसा में जहां लोकल पुलिस की लापरवाही की बात सामने आ रही है है वहीं हिंसा को सह देने का आरोप भाजपा के एक विधायक पर भी लग रहा है.
नौकरशाही डेस्क
आला पुलिस अफसर इस बात की जांच कर रहे हैं कि हिंसा के दौरान पारू के भाजपा एमएलए अशोक सिंह के सह पर पुलिस पहुंचने के रास्ते में घेराबंदी की गयी थी या नहीं. दूसरी तरफ मुजफ्फरपुर के जोनल आईजी पारसनाथ ने टेलिग्राफ अखबार को बताया है कि “पुलिस के आला अफसरों को यह सूचना मिली है कि हिंसक भीड़ ने कथित रूप से भाजपा एमएल के सह पर पुलिस के रास्ते में रुकावट खड़ी की. निशच्ति रूप से इस मामले का सत्यापन भी किया जायेगा”.
हालांकि भाजपा एमएलए अशोक कुमार सिंह ने ऐसे आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि वह पहले व्यक्ति हैं जो हिंसाग्रस्त गांव अजितपुर भैलवारा पहुंचे.
इस बीच मजुफ्फरपुर के जोनल आईजी पारसनाथ ने नौकरशाही डॉट इन को बताया है कि सरैया क्षेत्र में अब शांति है. इस मामले की जांच की जिम्मेदारी जिन अफसरों को दी गयी है वे जांच कर रहे हैं, ऐसे में मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता.
कैसी हुई हिंसा
गौरतलब है कि सरैया पुलिस स्टेशन के भैलवार अजितपुर गांव में रविवार की सुबह हिंसक भीड़ ने अल्पसंख्यक परिवार के गांव में आगजनी की. इस में 50 सेज ज्याद मकाल जला दिये गये. पुलिस के अनुसार इन घटनाओ में 4 लोगों की मौत हुई. हालांकि लोकल लोगों का कहना है कि मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है. यह घटना तब हुई जब भारतेंदु नामक युवक की लाश वसी अहमद के घर के करीब पायी गयी. इससे पहले भारतेंदुं के पिता ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे का अपहरण वसी अहमद के बेटे विकी ने की थी. उन्होंने इस मामले पर सरैया पुलिस को शिकायत की. लेकिन पुलिस ने इस मामले की एफ आईआर दो दिनों के बाद लिखी. लोकल लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ने 9 जनवरी को एफआईआर दर्ज की होती और उस पर तत्काल कार्रवाई की होती तो मामला इतना भयावह नहीं हुआ होता.
दूसरी तरफ मुजफ्फरपुर के एसएसपी रंजीत कुमार मिश्रा ने स्वीकार किया है कि इस मामले में सरैया के एसएचओ और मुजफ्फरपुर पश्चिम के डीएसपी संजय कुमार की लापरवाही सामने आयी है. लोकल पुलिस को सूचना मिली इसके बावजूद वह मौका पर नहीं पहुंची. बताया जा रहा है कि गांव छोड़कर भागे हुए लोग अब वापस अपने घरों को आ रहे हैं. लेकिन उनके चेहरों पर अभ भी खौफ है.
Comments are closed.