हिंदुस्तान अवामी मोर्चा के निवर्तमान प्रवक्ता दानिश रिजवान पर व्यवसायी की हत्या का आरोप लगा है. लेकिन उन्होंने जो 7 सवाल, साक्ष्य के बतौर किया है उससे पुलिस भी चकरा जायेगी और सोचने पर मजबूर होगी कि उन्हें बिला वजह फंसाया तो नहीं जा रहा?
दानिश के सात सवाल, उन्हीं की जुबानी
चलिए आपकी बात को मान लिया मैंने कि मैं दोषी हुँ पर इन सवालों की जाँच करा लिजिए
1-सब जानते है कि चाँद मियाँ गिरोह से मुझे और मेरे परिवार को जान का ख़तरा था,उसने एवं उसके गुर्गों ने धरहरा में मेरे रिश्तेदार इंम्तेयाज के यहाँ गोलीबारी की उसके बाद कई बार उन लोगों में मेरी हत्या करने की कोशिश की परंतु कामयाब नहीं हो पाएँ।जिसकी जानकारी मैंने लिखित तौर पर डीजीपी,गृहसचिव,आई जी सुरक्षा एवं पुलिस के वरीय पदाधिकारियों को दी परन्तु उस दिशा में आजतक कोई कारवाई नहीं हुई।
2-क्या यह बात सही नहीं कि मृतक व्यवसायी स्व कृष्णा सिंह के परिवार में ही जमीन विवाद को लेकर कई बार आपसी झगड़ा हुआ है जिसको लेकर न्यायलय में कई मामले चल रहें हैं जिसकी पैरवी कृष्णा सिंह ही किया करतें रहें हैं।पैरवी को लेकर उनके परिवार के लोगों ने उनको जान से मारने या मरवा देने की धमकी भी दी थी उस बात को लेकर कृष्णा सिंह द्वारा सनहा भी दर्ज करवाया गया था।आख़िर उस सनहा का क्या हुआ।
3-जानकारी मिली है कि कृष्णा सिंह के एक रिश्तेदार के यहाँ विगत कुछ दिनों से नईम एवं चाँद मियाँ का आना जाना भी लगा था।भलुहीपुर स्थित नईम के ससुराल एवं चाँद मियाँ के बीबीगंज मिल्की गाँव का रहने वाला एक गुर्गे सोनू सरकार के घर में व्यवसायी का वह रिश्तेदार ईद के दिन गया भी था और मिल्की गाँव में ही यह तय किया गया था कि एक सप्ताह के भीतर या तो दानिश रिजवान की हत्या कर देनी है या कृष्णा सिंह को मारकर उनके पुरे परिवार एवं मित्रो एवं शुभचिंतकों को फँसा देना है।
4-आख़िर कौन सी ऐसी वजह है कि इतने शालीन स्वभाव के व्यक्ति की हत्या के बावजूद उनके परिवार ने FIR तक दर्ज नहीं करवाया और समाजिक दबाव में एक दुसरे व्यक्ति महेश यादव से प्राथमिकी दर्ज करवाई गई।
5-दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि दानिश रिजवान,मुन्नू सिंह,ईन्द्रभान सिंह,शाहिद एवं अशरफ़ उक्त जमीन पर जेसीबी लेकर गए थें जहाँ जमकर गोलीबारी हुई थी और गाँव वालों के विरोध से वह लोग भाग गए जिसके कारण षंडयंत्र करके इनलोगो ने व्यवसायी की हत्या करवा दी।जबकि मुझे उसदिन के अखबारो से जानकारी मिली है कि जिसदिन गाँव के लोग वहाँ जेसीबी से तोड़-फोड़ कर रहे थें वहाँ इन पाँचो लोगों में से कोई गया ही नहीं था।न ही कोई गोलीबारी हुई थी उक्त तोड़फोड़ की न्यूज़ सभी अखबारो में छपी थी।मैं प्रशासन से माँग करता हुँ कि उस दिन का मोबाईल डिटेल निकलवाकर देखा जाए कि इनमें से कोई भी व्यक्ति क्या उस जगह पर गया था कि उनका किसी से कोई विवाद हो।
6-घटना की बात ईद के बाद की बताई जा रही है जबकि ईद के दुसरे दिन ही मैं आरा से बाहर चला गया था,और पुलिस मेरे सीडीआर टावर वोकेशन को भी देख सकती है।
7. 3 जुलाई को मैं देहरादून से दिल्ली के सफर पर था. मैं उतराखंड में था और सरकार ने मुझे बिहार में बता फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया।(टिकट संलग्न)
उपरोक्त बातों की जाँच से स्पष्ट हो जाएगा घटना में कौन-कौन से लोग शामिल हैं और मुद्दों को भटकाने के लिए पाँच बेक़सूर लोगों को परेशान और फँसाने की साज़िश रची जा रही है।
(फेसबुक पोस्ट)