दो साल की मोदी सरकार को अपने कार्यकाल में दूसरी बार बुधवार को शर्मनाक दिन देखना पड़ा है. अरुणाचल प्रदेश में लगे राष्ट्रपति शासन को रद्द कर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सरकार बहाल करने का हुक्म दिया है.
दो महीने पहले भी मोदी सरकार के फैसले को नैनीताल हाईकोर्ट ने पलटते हुए कांग्रेस की हरीश रावत सरकार को वापस बहाल करने का हुक्म दिया था. उसके बाद केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी लेकिन वहां भी उसे राहत नहीं मिली.
‘कड़ा रुख, हम घड़ी की सुई पीछे कर सकते हैं’
अरुणाचल प्रदेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट का रवैया कितना सख्त है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने आदेश में कहा कि हम घड़ी की सुई वापस कर सकते हैं.
ध्यान रहे कि अदालत ने इस दौरान लिये गये तमाम फैसले पर भी रोक लगा दिया है.
अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने आज अवैधानिक बताते हुए वहां कांग्रेस के शासन को बहाल कर दिया है. गौरतलब है कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को कांग्रेस पार्टी ने सु्प्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया और राज्यपाल के फैसले को गलत बताया और कहा कि यह फैसला संविधान के अनुकूल नहीं था.
तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया- तानाशाही पर अदालती तमाचा
अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले पर ट्विट करते हुए कहा कि यह मोदी सरकार के तानाशाही रवैये पर तमाचा है. केंद्र को चुनी हुई राज्य सरकारों का सम्मान करना चाहिए. जबकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा मोदी जी! अब तो लोकतंत्र का सम्मान करना सीखिए। किसी राज्य के लोग अगर अन्य पार्टी की सरकार चुन लेते हैं तो उन्हें सज़ा देना बंद कीजिए।