जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने नौकरशाही डाट काम के लिए शिवानंद गिरि को दिये साक्षात्कार में रोहित वेमुला आत्महत्या मामले में खुल के चर्चा की.
कन्हैया पिछले दिनों अपने पैतृक गांव बिहट आये थे. इस दौरान उन्होंने शहाबुद्दीन, राजबल्लभ यादव जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी अपनी बेबाक राय रखी.
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार रोहित बेमुला के जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है..कन्हैया का आरोप है कि जांच रिपार्ट गलत तरीके से प्रस्तुत की गई.जांच इस बात के लिए हो रही थी कि आत्महत्या किन परिस्थितियों में हुई और इसके लिए कौन लोग जिम्मेवार हैं तो जांच की गयी कि रेहित बेमुला की जाति का.
जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्वजज ए.के .रूपनवाल ने हाल ही में रोहित वेमुला की मौत संबंधी जांच रिपोर्ट सौंपी है.
सवालिया लहजे में कन्हैया कहते हैं कि इसमें जाति का सवाल कहां से आ गया .मसला जाति का है ही नहीं . वे कहते हैं कि जहां तक जाति का सवाल है इसपर कई बार उनके परिवार के लोगों द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है.
रोहित बेमुला की मां उनके पिता के साथ नहीं रहती .मां की जाति से ही उस इंसान को पहचाना जाता था ,तो इसमें कोई बुराई नहीं है.पुरूष प्रधान समाज में पिता से ही जाति तय होगी यदि आज उसको चैंलेंज किया जा रहा है कि नहीं हम मां के साथ रह रहें हैं ,पिता की जाति को छोड़कर मां की भी कोई जाति है तो इसपर विचार हो ना चाहिए .
दूसरा है कि जांच तो इस बात की होनी चाहिए कि आत्महत्या किन परिस्थितियों में हुई और कौन लोग इसके लिए जिम्मेवार हैं ,तो जांच हो रही है जाति की .
कन्हैया कहते हैं यूपी चुनाव को देखते हुए मामले को भटका कर केन्द्र सरकार अपना चेहरा छुपाना चाहती है.
मालूम हो कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी का स्कॉलर छात्र रोहित बेमुला ने इसी साल 17.जनवरी को आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद छात्र संगठनों व कुछ राजनीतिक दलों द्वारा जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन के बाद 28 जनवरी को मानव संसाधन मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था . देश की सियासत को झकझोर देने वाले इस मामले की जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्वजज ए.के .रूपनवाल ने कर हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
रोहित की जाति को लेकर विवाद की शुरूआत इस साल जनवरी में तब शुरू हुआ था जब एक प्रेस कांफ्रेंस में तत्कालीन केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि रोहित ओबीसी है न कि दलित .