उत्तर प्रदेश में बीसवें दिन फिर हिंसा भड़की लेकिन इस बार की हिंसा दलित बनाम ठाकुर नहीं थी. इस बार पुलिस ने दलितों की सभा को रोकना चाहा और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया तो वे नाराज हो गये. यह मंगलवार की घटना है लेकिन बुधवार को भी शहर अशांत रहा.
गौरतलब है कि 14 अप्रैल को सहारनपुर में ठाकुरों द्वारा महाराना प्रताप के नाम पर निकाले गये जुलूस के बाद दलितों के साथ झड़प हुआ था. इस दौरान बाबा साहब की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया था. उसके बाद 50 के करीब घरों में आग भी लगा दी गयी थी. तब एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी. भीम सेना के कार्यकर्ताओं का आरोप था कि इस मामले में पुलिस दर्शक बन कर देखती रही. उधर इस घटना के बाद मायावती ने बयान दिया था कि योगी सरकार भगवा तुष्टिकरण कर रही है.
इस घटना के बाद मंगलवार को भीम सेना के लोगों ने बैठक बुलाई. उस दिन पुलिस ने अनेक लोगों को गिरफ्तार कर लिया और अनेक गाड़िया भी जब्त कर लीं. इसकी प्रतिक्रिया में भीम सेना के लोगों ने पत्थरबाजी करके पुलिस से मुकबाला किया. और न सिर्फ पुलिस जवानों को बल्कि अफसरों को भी खदेड़ खदेड कर मारा.
इधर इस घटना के बाद आज भी शहर में अशांति है. कई चौक चौराहों पर लोगों ने लकड़ियों में आग लगा दी और राहगीरों की पिटाई भी की.
उधर इन घटनाओं को ले कर सोशल मीडिया पर भी खूब तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है.सुयश सुप्रभ ने लिखा, ‘अंग्रेज़ों के ज़माने में जनता को कुछ नहीं सूझता था तो वह थाना फूँक देती थी। भाजपा के ज़माने में भी जनता यही कर रही है। यूपी के सहारनपुर में कल यही हुआ। कुछ नहीं सूझना बहुत ख़तरनाक होता है। बहुत ज़्यादा ख़तरनाक।’निलिमा शाह ने लिखती हैं, कौन हैं ये लोग? मुस्लिम कश्मीरी पत्थरबाज, नहीं योगी के रामराज्य के सहारनपुर के दलित।