राज्य सभा की छह सीटों के चुनाव के लिए आज अधिसूचना जारी होने के साथ नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी। नामांकन करने की अंतिम तारीख 12 मार्च है। आवश्यकता पड़ी तो मतदान 23 मार्च को होगा। उम्मीद है कि सभी उम्मीदवार 12 मार्च को ही अपना नामांकन दाखिल करेंगे। 11 मार्च को बिहार में लोकसभा की एक और विधान सभा के लिए दो सीटों पर उपचुनाव होना है और सभी पार्टियों के नेता उपचुनाव में ही व्यस्त हैं।
वीरेंद्र यादव
प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्यसभा चुनाव के लिए जदयू और भाजपा गठबंधन चौथा उम्मीदवार नहीं देगा। जदयू अपने बल पर दो और भाजपा एक सीट आसानी से जीत लेगी। इसके बावजदू भाजपा का 17 वोट अतिरिक्त बचता है। भाजपा को दूसरी सीट के लिए 18 और वोटों की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए कांग्रेस, राजद, जदयू या अन्य दूसरी पार्टियों के विधायकों का वोट हासिल करना होगा। इस प्रक्रिया में निष्ठा, नीयत और नीति से ज्यादा पैसा महत्वपूर्ण हो जाएगा। और जब ‘विधायकों के बाजार’ में पैसा आ गया तो इसके ‘साइड इफेक्ट’ से कोई भी नहीं बच पाएगा। ऐसे माहौल में पार्टियों के अधिकृत उम्मीदवारों को अपने ही दल के वोट के लिए ‘भुगतान’ की नौबत आ सकती है।
इस खतरा को भांपते हुए जदयू-भाजपा एलायंस चौथा उम्मीदवार देने के पक्ष में नहीं है। यदि कांग्रेस विधायकों की ‘निष्ठा’ नहीं बदली तो राजद-कांग्रेस एलायंस का भी तीन सीटों पर कब्जा पक्का है। वैसे में राजद राज्यसभा में कांग्रेस को समर्थन देकर विधान परिषद में कांग्रेस का समर्थन लेना चाहेगा। केंद्र सरकार के दो मंत्री रविशंकर प्रसाद और धर्मेंद्र प्रधान का कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो रहा है। वर्तमान संख्या में भाजपा के किसी एक उम्मीदवार की ही वापसी होगी। यदि नीतीश कुमार अपने कोटे की एक सीट भाजपा को देने पर सहमत हो जाएं तो रविशंकर प्रसाद और धर्मेंद्र प्रसाद दोनों की वापसी तय है। हालांकि इसकी उम्मीद दिखती नहीं है।