राधिका रमण प्रसाद सिंह की जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुई लघुकथा–गोष्ठी
पटना,१० सितम्बर । महान कथा–शिल्पी राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह,कथा–लेखन में अपनी अत्यंत लुभावनी शैली के कारण, हिंदी कथा साहित्य में ‘शैली–सम्राट‘के रूप में स्मरण किए जाते हैं। उनकी कहानियाँ अपनी नज़ाकत भरी भाषा और रोचक चित्रण के कारण, पाठकों को मोहित करती हैं। कहानी किस प्रकार पाठकों को आरंभ से अंत तक पढ़ने के लिए विवश कर सकती है, इस शिल्प को वो जान गए थे। इसीलिए वे अपने समय के सबसे लोकप्रिय कहानीकार सिद्ध हुए। उनकी झरना–सी मचलती हुई बहती, शोख़ और चुलबुली भाषा ने पाठकों को दीवाना बना दिया था। उनोंनें अपनी कहानियों में समय का सत्य, मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक सरोकारों को सर्वोच्च स्थान दिया।
यह बातें आज यहाँ बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में राजाजी की जयंती के अवसर आयोजित समारोह और लघुकथा–गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए,सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, राजा जी हिंदू–मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सौहार्द के पक्षधर थे। अपनी भाषा में भी उन्होंने इसका ठोस परिचय दिया। उनकी कहानियों में उर्दू के भी पर्याप्त शब्द मिलते हैं। उनकी अत्यंत लोकप्रिय रही रचनाओं ‘राम–रहीम‘ ‘माया मिली न राम‘, ‘पूरब और पश्चिम‘, ‘गांधी टोपी‘, ‘नारी क्या एक पहेली‘, ‘वे और हम‘, ‘तब और अब‘, ‘बिखरे मोती‘ आदि में इसकी ख़ूबसूरत छटा देखी जा सकती है।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के डा शंकर प्रसाद ने कहा कि राजा जी महात्मा गांधी जी से बहुत प्रभावित थे। वे गांधी जी के आंदोलन में भी सक्रिय रहे। गांधी जी की प्रेरणा से हीं उन्होंने गंगा–जमुनी भाषा का प्रयोग अपनी कहानियों में किया। उनकी कहानियों के शीर्षक भी बहुत आकर्षक हुए। ‘कानों में कंगना‘ नामक उनकी कहानी इसका ख़ूबसूरत उदाहरण है।
इस अवसर पर आयोजित लघुकथा गोष्ठी में, कहानीकार अमियनाथ चटर्जी ने ‘मानव और पशु‘, डा शंकर प्रसाद ने ‘किटी पार्टी‘, पंकज प्रियम ने ‘धनुर्धर‘,आचार्य आनंद किशोर शास्त्री ने ‘हिसाब–बराबर‘,शुभचंद्र सिन्हा ने‘दस रुपया‘, डा विनय कुमार विष्णुपुरी ने‘चार दोस्त‘, अर्जुन प्रसाद सिंह ने ‘अच्छे कार्यों की तलाश‘, कुमारी मेनका ने ‘वज़न‘तथा श्याम नारायण महाश्रेष्ठ ने ‘महामूर्ख‘शीर्षक से लघुकथा का पाठ किया।
गोष्ठी में, राज किशोर सिंह‘विरागी‘, लता प्रासर, बाँके बिहारी साव, रामाशीष ठाकुर,पवन कुमार मिश्र,चंद्र शेखर आज़ाद,अनिल कुमार झा, श्याम नंदन सिन्हा, डा ज़फ़र अहसन, अश्विनी कुमार, कुमारी मेनका तथा ओम् प्रकाश वर्मा समेत अनेक साहित्य सेवी एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे। मंच का संचालन सम्मेलन के अर्थ मंत्री योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा कवि राज कुमार प्रेमी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।