बिहार के मुख्यसचिव अंजनी कुमार सिंह के रिटायरमेंट के बाद सेवा विस्तार की अवधि भी खत्म होने वाली है. लेकिन अंजनी, सीएम नीतीश कुमार के लिए इतने महत्वपूर्ण हैं कि अब उनके लिए विशेष नवसृजित पद इंतजार कर रहा है.
इस महीने के आखिरी कार्य दिवस को अंजनी कुमार के सेवा विस्तार की अवधि खत्म होगी और बस अगले ही दिन वह बिहार सरकार के चीफ एडवाइजर बन जायेंगे. बिहार में इस नवसृजित पद की कोई भी व्यक्ति पहली बार जिम्मादीर संभालेगा. याद रहे कि इससे पहले इस पद के लिए पूर्व केंद्रीय गृह सचिव आरके सिन्हा को आफर किया गया था लेकिन उन्होंने इसे नहीं स्वीकारा.
अंजनी कुमार सिंह चीफ सेक्रेटरी से पहले मुख्यमत्री के प्रधान सचिव रह चुके हैं. उससे पहले उन्होंने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के पद पर काम करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को काफी प्रभावित किया था. जब जीतन राम मांझी को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी तब कुछ दिनों बाद उन्होंने नीतीश के कई प्रिय नौकरशाहों को प्रमुख पदों से चलता कर दिया था. उनमें से एक आमिर सुबहानी भी थे. लेकिन अंजनी कुमार सिंह ही एख ऐसे नौकरशाह थे जिन्हें जीतन मांझी नौकरशाही की मेनस्ट्रीम से नहीं अलग किया. कुछ लोग इसे अंजनी कुमार सिंह की मांझी से निकटता का कारण मानते हैं. हालांकि यह भी सच है कि अंजनी कुमार सिंह को मुख्यसचिव बनवाने में नीतीश कुमार का महत्वपूर्ण योगदान था. अंजनी कुमार सिंह के अंदर प्रशासनिक फैसले को ईवेंट में कंवर्ट करने की महारत हासिल है.
तो क्यों चलता है नीतीश पर इस नौकरशाह का जूद
अंजनी कुमार सिंह 1981 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्हें नीतीश सरकार ने तीन महीने का एक्सटेंशन दे कर मुख्यसचिव के पद पर बरकार रखा है. लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि उन्हें तीन महीने बाद दोबारा एक्सटेंशन भी मिल जाये. नीतीश कुमार के साथ अंजनी सिंह के संबंधों को करीब से जानने वाले तो यहां तक बताते हैं कि अगर अंजनी रिटायर भी हो जायें तो नीतीश कुमार उन्हें विशेष तौर पर बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकते हैं. अंजनी कुमार सिंह का जादू नीतीश कुमार पर अगर चलता है तो इसके लिए अंजनी कुमार की कार्यकुशलता, विश्वसनीयता और उनकी उद्यमशीलता ही इसकी वजह है.