रुपयाबंदी पर मचे हाहाकार और देशव्यापी विरोध झेल रही केंद्र सरकार ने जाकिर नाइक के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को प्रतिबंधित कर दिया है. हालांकि नवम्बर के पहले सप्ताहा में ही महाराष्ट्र पुलिस ने फाउंडेशन के खिलाफ जांच बंद कर दिया था क्योंकि उसके खिलाफ चीटिंग या धोखाधड़ी की कोई शिकायत नहीं मिली थी.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
प्रतिबंध के ताजा फैसले के बाद फेसबुक पर हैशटैग जाकिर नाइक ट्रेंड करने लगा है.
मीडिया की खबरों के अनुसार केंद्र सरकार ने आईआरफ को गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम के तहत पांच वर्षों के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. उधर आईआरएफ( इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के वकील ने कहा है कि यह प्रतिबंध गैरकानूनी और अनजस्टिफायड है वह इसके खिलाफ ट्रिब्युल में जायेंगे. आईआरएफ के वकील ने दावा किया है कि यह प्रतिबंध रद कर दिया जायेगा.
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गृहमंत्रालय के अधिकारी ने नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लिए गये इस फैसले के बारे में बताया कि आईआरफ का संबंध पीस टीवी से रहा है. पीस टीवी के जरिये भड़काने वाले कार्यक्रम टेलिकास्ट किये जाते हैं.
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केंद्र सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब वह देश भर में रुपयाबंदी के फैसले से आलोचना की शिकार है. आठ नवम्बर से ले कर अब तक देश भर में पैसे की कमी के कारण 25 लोग या तो अस्पतला में इलाज नहीं होने के कारण मौत के शिकार हो चुके हैं या फिर बैंकों में लाइन लगा कर पैसे के इंतजार में दम तोड़ चुके हैं. इस देशव्यापी विरोध के अलावा राज्यसभा में विपक्ष के तीखे सवालों का केंद्र सरकार ठीक से जवाब दे पाने की स्थिति में भी नहीं है. ऐसे में यह आवाज उठना स्वाभाविक है कि नोटबंदी से ध्यान खीचने के लिए तो कहीं केंद्र सरकार ने यह कदम तो नहीं उठा दिया है.
यह नहीं भूलना चाहिए कि रुपयाबंदी का दाव मोदी सरकार को काफी उलटा पड़ चुका है. देश भर में अब तक अस्पतल और बैंकों 28 लोगों की इसलिए मौत हो चुकी है कि अस्पताल पुराने नोट नहीं ले रहे जबकि बैंक से नये नोट मिलने में कठिनाई है. बंगाल से बिहार तक लोग सड़कों पर आ कर इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. राज्यसभा में मोदी घिर चुके हैं. जबकि इन मामलों और तीखे सवालों से बचने के लिए पहले भाजपा ने पीएम की 95 वर्ष की बूढ़ी मां को बैंक के लाइन में खड़ा कर दिया. अभी जैसे जैसे हालात बेकाबू होंगे केंद्र सरकार उधर से ध्यान हटाने के लिए और भी कई कदम उठा सकती है.
यह गौर करने की बात है कि इंडियन एक्सप्रेस ने 8 नवम्बर को अपनी वेबसाइट पर यह खबर छापी थी कि महाराष्ट्र के एक सीनियर अफसर ने स्वीकार किया है कि फाउंडेशन के खिलाफ चीटिंग या धोखाधड़ी करने की शिकायत किसी ने नहीं की ऐसे में यह जांच बंद कर दी गयी है.