भाजपाई कुनबा के सबसे कमजोर सहयोगी जीतनराम मांझी को लालू यादव के ‘बगलगीर’ होने का खामियाजा भुगतना पड़ा। लालू यादव के करीब दिखने का असर था कि लालू यादव व शरद यादव के साथ जीतनराम मांझी की सुरक्षा व्यवस्था में कटौती कर दी गयी।
वीरेंद्र यादव
हाल ही में इन तीनों नेताओं की सुरक्षा श्रेणी और सुरक्षा व्यवस्था में कटौती की गयी है। सुरक्षा में कटौती के आरोप-प्रत्यारोप के बीच ‘बेचारे’ जीतनराम पीस गये। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 23 नवंबर को लालू यादव व जीतनराम मांझी दोनों एक ही फ्लाइट से रांची से पटना आये थे। दोनों की सीट भी अगल-बगल में थी। रांची व पटना में दोनों ने आपस में गुफ्तगू भी की। दो भूतपूर्व मुख्यमंत्री मिलेंगे तो भविष्य की चिंता भी होगी और चर्चा भी। स्वाभाविक भी है।
केंद्र सरकार की एजेंसियां वीआईपी नेताओं की गतिविधियों की निगरानी भी करती है। संभव है कि एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने लालू यादव व जीतनराम मांझी की नजदीकी देख ली हो। इसकी सूचना के बाद ही सुरक्षा में कटौती कार्रवाई की गयी हो। सुरक्षा में कटौती की वजह जो भी है, इतना तय है कि जीतनराम मांझी को संकेत समझ लेना चाहिए कि सुरक्षा में कटौती के बाद में राजनीतिक कद में भी कटौती की पीड़ा झेलनी पड़ सकती है।