राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जम कर हमला बोला. पहले उन्होंने पटना में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पलटू राम तक कह दिया और जातिवादी रैली करने व भाजपा की गोद में बैठने का आरोप लगा, तो फेसबुक पर लालू ने छात्र राजनीति के संस्मरण को याद करने की कोशिश की. गौरतलब है कि सोमवार को नीतीश कुमार ने भी छात्र राजनीति की चर्चा करते हुए लालू यादव को बनने का दावा किया था. 

नौकरशाही डेस्क

लालू प्रसाद ने फेसबुक पर लिखा -‘ नीतीश कहता है कि उसने मुझे नेता बनाया। ये तो झूठ की सभी मर्यादाएँ और बाँध तोड़ रहा है. मैं 1970 में पटना यूनिवर्सिटी में जनरल सेक्रेटरी था, दो साल में पटना विश्वविधालय का अध्यक्ष बना. उससे पूर्व में delegates नॉमिनेट कर अध्यक्ष बनाते थे. मैंने लड़ाई लड़ी कि पटना विश्वविधालय का अध्यक्ष नॉमिनेट नहीं होना चाहिए बल्कि इसके लिए खुला चुनाव होना चाहिए ताकि वंचित और उपेक्षित वर्गों के छात्र अपना नेता चुने.

उन्होंने आगे लिखा कि वंचित वर्गों के छात्रों के सहयोग से मैं पटना विश्वविधालय का अध्यक्ष बना. उस वक़्त नीतीश को शायद ही इसकी कक्षा के बाहर कोई जानता हों. इसका कहीं कोई अता-पता नहीं था. 1974 के छात्र आंदोलन में जयप्रकाश नारायण जी ने मुझे छात्र आंदोलन का संयोजक घोषित किया. उसी दौरान छात्रों की सहमति से हमने जेपी जी को लोकनायक की उपाधि दी और मुझे छात्र आंदोलन का संयोजक बनाने के लिए लोकनायक का धन्यवाद किया.

राजद सुप्रीमो के अनुसार, ‘1977 में महज़ 29 वर्ष की उम्र में देश का सबसे कम उम्र का सांसद बनकर मैंने जनता पार्टी की सरकार में छपरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 1985 में नीतीश पहली बार विधायक बना तब तक मैं एक बार सांसद और विधायक रह चुका था. उससे पहले नीतीश दो चुनाव हार चुका था. ये दो-दो चुनाव हारने के बाद गिड़गिड़ाता हुआ मेरे पास आया था और दावा करता है इसने मुझे नेता बनाया.

उन्होंने कहा कि नीतीश अपनी अंतरात्मा से पूछे इसे बाढ़ से सांसद बनाने के लिए मैंने इसके लिए क्या-क्या नहीं किया? इसे आगे करने के लिए मैंने पार्टी के कई पुराने नेताओं से भी संबंध ख़राब कर लिए थे. अब चारों तरफ़ से घिर चुका है तो झूठ का सहारा ले रहा है.

इससे पहले लालू प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस में भी नीतीश कुमार के आरोपों का जवाब दिया और कहा कि मास बेस की बात करने वाले नीतीश कुमार ने अपनी अलग राह पकड़ने की शुरुआत ही अपनी जातीय रैली “कुर्मी चेतना रैली” से ही की थी. हिम्मत है तो इसे नकारें, मैंने तो अपने जीवन में मैंने कभी किसी यादव रैली में भाग नहीं लिया.

लालू ने कहा कि इस अवसरवादी व्यक्ति ने मंडल के दौर में भी भाजपाईयो और आरएसएस के इशारे पर अलग राह पकड़कर ओबीसी एकता और विशेषकर बिहार में दलितों और पिछड़ों की गोलबंदी को रोकने का प्रयास किया था. उस वक़्त सामाजिक न्याय के रथ को रोकना चाहता था. नीतीश कुमार बताएँ मंडल कमीशन लागू करवाने में उनका क्या रोल था? हमने और शरद यादव जी ने इसके लिए संघर्ष किया और मंडल कमीशन लागू करवाने के लिए क्या-क्या किया, ये नीतीश क्या जाने? मुझे कहता है मेरा मास बेस नहीं है, अरे मेरे मास बेस से परेशान और अतिमहत्वाकांक्षी होने के कारण ही नीतीश कुमार मंडल छोड़ कमंडल थाम लिया था.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427