पटना की साहित्यिक संस्था समन्वय युवा कवियों की रचनाधर्मिता को दुनिया के सामने पेश करने में लगी है. इसी क्रम में रविवार को पटना में बारह कवियों ने अपनी रचनाएँ पढ़ी.
कार्यक्रम की शुरुआत में सुशील कुमार ने युवा कवियों का स्वागत करते हुए आज के कठिन समय में रचनाधर्मिता के लिए युवाओं का आह्वान करते हुए उनके हस्तक्षेप की ज़रूरत बताई ।
सबसे पहले शोभित श्रीमन ने अपनी कुछ कविताएँ सुनाई। इन कविताओं में प्रकृति और रूमानियत का बिम्ब है। दूसरे कवि सुधाकर रवि ने प्रेम की व्याकुलता और प्रकृति की उपस्थिति की कविताएँ सुनाई।
कवयित्री नेहा नारायण सिंह ने नारी सशक्तिकरण की कविताएँ सुनाई। उनकी ‘तीन तलाक़’ कविता ने तालियाँ बटोरीं । कुमार राहुल और उत्कर्ष यथार्थ ने प्रयोगधर्मी और नए आयामों की पुट लिए कविताएँ सुनाईं।वही सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ बिहार के बीए के छात्र ने व्यंग्य के लहजे में अपनी हिन्दी कविताओं के अतिरिक्त मगही गीत सुनाया जिसे लोगों ने काफ़ी पसंद किया।
आशिया नकवी ने ‘वो लड़की’ और ‘आइनों से डरने वाला आदमी’ समेत कई कवितायें सुनायी। युवा कवि अंचित ने ‘उत्तर सत्य’, ‘यह दिल्ली पचासी है’, ‘प्रेयसी’ समेत कुल आधा दर्जन कवितायें सुनायीं जो फ़्रेम और डायलेक्ट की कसौटी पर कसी हुई हैं।
धनंजय ने भी दो कवितायें नदी और कृष्ण के परिप्रेक्ष्य में सुनाई। युवा कवयित्री सना आसिफ़ ने समाज, जीवन और समय को लेकर कई अच्छी कवितायें सुनाई। अंतिम दो कवियों में से राजेश कमल ने ‘प्रेमपत्र’, ‘अनशन’, लोकतंत्र जैसी चुभती और कसी हुई कई छोटी कवितायें सुनाई।
दिल्ली से आये युवा कवि पावस नीर ने कविताओं से युवा लेखन की परिपक्वता का ख़ाका खींचा।पावस नीर के शब्दों में ‘लिखो जीने के लिये जगह घेरने के लिये ख़ाली छोड़ दी जगह तो वहॉ घेर लेगा अंधेरा’
इस गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज ने युवा संभावनाओं को बधाई देते हुये भाषा, एवं अन्य कसौटियों पर कविताओं को तौ ज़रूरत बतायी। अंत में विनीत ने धन्यवाद ज्ञापन किया।गोष्ठी में मौजूद प्रमुख लोगों में अमरनाथ तिवारी, श्रीकांत, प्रो० अभय, साकेत, रणजीत, मृणाल, फ़िरोज़ मंसूरी, मनजीत आनंद साहू आदि मुख्य थे