पटना में सौंदर्यीकरण के नाम पर जगह जगह बनाये जा रहे या बन चुके पार्कों में मची लूट से पर्दा उठा रहे हैं विनायक विजेता.
अधिकारियों की मिली भगत से सरकार ने इन पार्कों के निर्माण के नाम पर लूट की खुली छूट दे रखी है।
राजधानी के फ्रेजर रोड स्थित भगवान बुद्ध के नाम पर बनाए गए बुद्धा स्मृति पार्क निर्माण के नाम पर करोडो का वारा-न्यारा हुआ। अतिविश्वसनीय सूत्रों से मिली खबर के अनुसार अधिकारियों की मिलीभगत से बुद्धा स्मृति पार्क निर्माण की प्राक्कलित राशि से 17 प्रतिशत मार्जिन पर संबंधित एजेंसी को काम दिया गया जबकि कुछ कंपनिया इससे कम दर पर भी काम करने को तैयार थीं। इस पार्क के निर्माण कार्य से जुडे एक इंजीनियर ने ही नाम न देने की शर्त पर बताया कि अगर बुद्ध स्मृति पार्क निर्माण पर खर्च हुई राशि का ब्योरा मांगा जाए तो सरकार और अधिकारियों की हकीकत सामने आ जाएगी।
पार्क निर्माण के नाम पर किस तरह सरकारी राशि का बंदरबांट हो रहा है इसका ताजा उदाहरण अनीसाबाद स्थित पुलिस कॉलोनी है। पुलिस कॉलानी ए, बी सी,डी नाम से चार सेक्टरों में बंटा है। इन सेक्टरों में सी और डी सेक्टर के नाम पर दो पार्कों का निर्माण हो चुका है जबकि ए सेक्टर का पार्क निर्माणाधीन है इसके बावजूद बी और सी सेक्टर के नाम पर लगभग ढाई बीघे की खाली जमीन में एक और पार्क बनाने की तैयारी चल रही है जबकि इस प्रस्तावित पार्क के ठीक सामने बी और सी सेक्टर का पार्क है। मुहल्ले के लोग भी सरकार और नगर निगम के इस फैसले से अचंभित हैं।
पूरी पुलिस कॉलोनी में न तो बच्चों के लिए खेल का कोई मैदान है और न ही वैसा कोई बडा सामुदायिक भवन जहां वर्तमान या रिटायर्ड पुलिसकर्मी शादी-ब्याह या अन्य किसी मौके पर कोई जलसा आयोजित कर सकें। पूर्व में इस जमीन पर डीएवी स्कूल खोलने का विवाद था जिसे न्यायालय ने निरस्त कर दिया पर सरकार और निगम जनहित और सौंदर्यीकरण के नाम पर इस जमीन पर पार्क बनवाने के बहाने अपने अधिकारियों को लूट की खुली छुट दे दी है।
अगर इस जगह पार्क के बजाए बच्चों के लिए खेल का मैदान और शादी-विवाह के मकसद से एक सामुदायिक भवन या बडे हॉल का निर्माण होता तो वह जनहित में ज्यादा उपयोगी था पर जहां लूट ही मकसद हो वहां ऐसे ‘हित’ हवा में फना हो जाते हैं।
सूत्रों के अनुसार अब कुछ लोग इस मामले में पटना हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी में हैं।