कांग्रेस कमिटी के संगठन प्रभारी ब्रजेश कुमार पाण्डये एवं युवा कांग्रेस के बिहार इकाई के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार,कांग्रेस के प्रवक्ता आजमी बारी संयुक्त प्रेस बयान जारी कर कहा कि कि राज्य में इस कोरोना संक्रमण के दौरान बड़ी संख्या में छोटे पशुपालकों की स्थिति बद से बत्तर हो चुकी है।
इन पशुपालकों का जीवन निर्वाह दूध बेचकर पहले ही बड़ी मुश्किल से होता था। ऊपर से इस महंगाई के दौर में पशुओं के चारा, पानी और दवाओं का खर्च अलग है। बड़े पशुपालक तो पहले की तरह ही डेयरी में दूध भेज रहे है। जिससे उन्हें इस लॉक डाउन में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। लेकिन वही छोटे पशुपालकों से दूध एकत्र कर मखनिया समुदाय चाय दुकान, मिठाई दुकान के साथ घरों में दूध और पनीर की सप्लाई दिया करते थे। जो व्यवसाय इस लॉक डाउन की वजह से पूरी तरह से चौपट हो गया है, जिसका खमियाजा छोटे तबके के पशुपालक उठा रहे हैं।
दूध नहीं बिकने की वजह से इन गरीब पशुपालको की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में अनुमंडल स्तर पर इन पशुपालकों की पहचान कराके मुआवजे की घोषणा करें पशुपालन मंत्री प्रेम कुमार। जिससे इन पशुपालको का मनोबल बढ़ सके। कोरोना संक्रमण के दौरान हुए लॉक डाउन की वजह से राज्य में छोटे पशुपालकों की स्थिति दयनीय हो गई है। पशुओं के दूध बेच कर ये लोग अपने परिवार और पशुओं के लिए खाना,पानी और अन्य मुलभुत आवश्यकताओं की पूर्ति किया करते थे।
लेकिन कोरोना महामारी की वजह से हुए लॉक डाउन में चाय, मिठाई और पनीर के व्यवसाय बंद होने से इन छोटे पशुपालकों का दूध बाजार तक नहीं पहुंच रहा है। इस कारण इन लोगों के आगे पशुओं के लिए चारा और ईलाज के पैसों का इंतजाम भी मुश्किल का सबब बन गया है।नेताद्वय ने कहा कि इस बाबत राज्य के गरीब पशुपालकों के दयनीय स्थिति पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए कृषि और पशुपालन मंत्री डॉ प्रेम कुमार से राज्य के इन छोटे तबके के पशुपालकों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की मांग की है।