होली क्रिएचर्स और पीस फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में सिटिज़न जर्नलिज्म और कंटेम्पररी मीडिया विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन की शुरुआत करते हुए पटना के वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार सुरूर अहमद ने उपस्थित सह्भागियों को समाचार का मतलब, संरचना, इसके बनाने इत्यादि पर चर्चा की। सह्भागियों को फील्ड वर्क के तौर पर समाचार लिखने का कार्य सौंपा गया जो उन्होंने बखूबी किया।
यह आयोजन सहूलत के क्षेत्रिय कार्यालय, अली नगर, अनीसाबाद में अक्टूबर 8 और 9 को एक
लंच के बाद वरिष्ठ पत्रकार और नौकरशाही डॉट कॉम के संपादक ने न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से इन्टरनेट मीडिया के महत्व पर प्रकाश डाला। उनहोंने कहा कि मीडिया में आबादी का निचले तबके की अल्प भागीदारी होने के कारण मीडिया समाज का पूरा सच लाने में असफल है। ओडिशा के दाना मांझी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन्टरनेट मीडिया के कारण ही हमने ओडिशा के दलितों का दर्द जाना। उनहोंने सहभागियों के पूछे गए कई प्रश्नों का उत्तर कर उन्हें प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर जन मुक्ति के संपादक अशोक प्रियदर्शी ने प्रिंट मीडिया के पूरे कार्य करने के तरीके का उल्लेख किया। उन्होंने विभिन्न पत्रिकाओं की शुरुआत पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पत्रिका कहीं से भी निकाली जा सकती है और पत्रिका चलाने के लिए जो सबसे आवश्यक है वह है पत्रिका का संपादन मंडल, यदि आपका संपादकीय अच्छा है तो पत्रिका की सफलता की संभावना अधिक है। पहले दिन के कार्यशाला के अंत में सहभागियों को प्रेस विज्ञप्ति तैयार करने को कहा गया।
दुसरे दिन कार्यशाला के शुरू में सुरूर अहमद ने सहभागियों के बनाए गए समाचार और प्रेस विज्ञप्ति का विश्लेषण किया और उन पर टिप्पणी करते हुए उन्हें बेहतर लिखने के गुड़ सिखाए। उन्होंने बताया कि टेक्नोलॉजी माध्यम मात्र है लेकिन पत्रकार होने के लिए आपको विषय पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए और आपको न्यूज़ और व्यूज़ के बीच का अंतर समझना होगा। कार्यशाला के दुसरे सत्र में पटना उच्च न्यायालय के भूतपूर्व रजिस्ट्रार
एम. टी. खान ने ईशनिंदा, द्वेषपूर्ण भाषण और भारतीय संविधान पर प्रकाश डाला। एम. टी. खान ने कहा कि सलमान रश्दी और दुसरे लोगों ने तथ्यों को पूरा न लिख कर सच को छिपाया और इससे समाज में विद्वेष फैला है। एम. टी. खान ने कहा कि भारतीय संविधान में इसके लिए जुर्माना और दंड दोनों का प्रावधान है और कई मामलों में दंड भी मिली है।
इसके बाद पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष नौशाद अंसारी ने मीडिया वाच – नागरिक का दायित्व विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। व्याख्यान में उन्होंने अपने पॉवर पॉइंट प्रस्तुती के दौरान कहा कि मीडिया में अगर कुछ ग़लत लिखा जाता है तो संपादक को पत्र व्यवहार के माध्यम से अवगत कराएं या मिलकर उनसे अपनी बात रखें। 60 दिनों के अंदर संपादक से उत्तर न मिलने की स्थिति में प्रिंट मीडिया की शिकायत प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया को और इलेक्ट्रॉनिक चैनल की शिकायत आई.बी.एफ़. को की जा सकती है।
होली क्रिएचर्स के संरक्षक समाज सेवक और अल खैर क्रेडिट सोसायटी के पूर्व चेयरमैन फ़िरोज़ आलम सिद्दीक़ी ने सहभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि पारंपरिक संचार की जगह अब टेक्नोलॉजी ने ले लिया है इसलिए बेहतर संचार के लिए आधुनिक उपकरणों से लैस होना होगा। उनहोंने कहा कि आज के दौर में अच्छे नागरिक को समाज में दूरी बढ़ने से रोकने के लिए सोशल मीडिया पर फैल रहे ज़हर को रोकने के लिए सक्रिय होना होगा। उनहोंने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य हमेशा अच्छा समाज बनाना होता है।
बीबीसी हिंदी सेवा के युवा पत्रकार मनीष शांडिल्य ने प्रेस और लोकतंत्र पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। इस व्याख्यान में उन्होंने लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस की वकालत की। उनहोंने कहा कि बहुत सी ऐसी ख़बरें हैं जो मेनस्ट्रीम मीडिया में आती ही नहीं। उन्होंने इस सन्दर्भ में हज़ारीबाग़ के लातेहार का भी संदर्भ दिया और कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है कि समाचार भेदभाव पर आधारित हो। मनीष शांडिल्य ने सहभागियों के विषय भी संबंधित कई प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
कार्यशाला के समापन व्याख्यान में प्रख्यात समाजसेवक और अल-खैर कोऑपरेटिव सोसायटी के संस्थापक अरशद अजमल ने सहभागियों को संबोधन में बताया कि पत्रकार का काम केवल घटनाओं को प्रकाशित करना नहीं बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे मूल कारण को उजागर करके पाठकों तक तथ्यों को पहुँचाना होना चाहिए जिसका आज सर्वथा अभाव देखा जा रहा है। और इसी कारण से पत्रकारिता के स्तर का पतन हो रहा है। उनहोंने पत्रकारिता में रिपोर्टिंग के अभाव पर भी चिंता व्यक्त किया।
यूको बैंक के सेवानिर्वृत्त प्रबंधक गुलाम रसूल ने लोगों का धन्यवाद किया। पत्रकार और मीडिया एक्टिविस्ट और पीस फाउंडेशन के उपाध्य्यक्ष अनवारुल होदा और अन्य लोगों ने सहभागियों के मध्य कार्यशाला में सहभागिता का प्रमाण पत्र बांटा। होली क्रिएचर्स के संस्थापक और इस कार्यशाला के कर्णधार, लेखक और कंप्यूटर अभियंता मोहम्मद मंसूर आलम ने कार्यशाला में आए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया और सहभागियों को शुभकामनाएँ दी और इस तरह के कार्यशाला को पूरे भारत में करने का विश्वास दिलाया।