न्यायमूर्ति शिव र्कीति सिंह ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के तहत ’कानून के साथ संर्घषरत बच्चे’ और ’वंचित व विशेष देखभाल की जरूरत वाले बच्चों ’ का पुर्नवास एक बड़ी चुनौती हैं.
उन्होंने कहा इसके लिए समाज के सहयोग की आवष्यकता है। इसे लिए बजट के साथ ही समर्पित कार्यकर्ताओं की भी आवष्यकता है। बिहार ज्यूडिसियरी एकेडमी के सभागार में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के जुवेनाइल जस्टिस कमेटी की अध्यक्षता में पटना उच्च न्यायालय, बिहार ज्यूडिसियल अकादमी, समाज कल्याण विभाग बिहार सरकार एंव यूनीसेफ बिहार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के अंतर्गत बच्चों के पुर्नवास को सशक्त बनाने हेतु दूसरे क्षेत्रीय राउंडटेबल कांफ्रेंस के दौरान ये बातें कहीं.
कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीष और सर्वोच्च न्यायालय जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीष, न्यायमूर्ति षिव र्कीति सिंह, पटना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीष न्यायामूर्ति इकबाल अहमद अंसारी, न्यायाधीष और पटना उच्च न्यायालय जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी एन सिन्हा, महिला और बाल कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की अपर सचिव सुश्री नूतन गुहा विष्वास एवं यूनिसेफ बिहार के प्रमुख डाॅ यामीन मजूमदार की उपस्थिति में दीप प्रज्जवलित कर किया।